'तानाजी: द अनसंग वॉरियर रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म अब हिंदी भाषा के साथ- साथ मराठी में भी रिलीज होगी. हाल ही में मराठी भाषा में भी फिल्म की डबिंग की गई थी. इस बारे में फिल्म के निर्देशक ओम राउत का कहना है, 'यह अजय का आइडिया था कि फिल्म को मराठी भाषा में रिलीज किया जाए. मैंने हिंदी में पिच किया था क्यूंकि चाहते थे कि यह सभी भाषी के लोग देख सके. अजय का मानना है कि फिल्म को दो भाषा में रिलीज करने से ज्यादा से ज्यादा ऑडियंस आएगी.
दरअसल, मेकर्स फिल्म को बड़े स्तर पर रिलीज करने की तैयारी में हैं, जिसके लिए वह हर भरसक प्रयास कर रहे हैं. अब इस कोशिश में अजय देवगन और पूरी टीम को एक बड़ी सफलता मिल गई है. दरअसल अजय शुरू से यह फिल्म मराठी भाषा में भी डब करना चाहते थे ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह फिल्म पहुंच सके. अजय की इस सोच पर राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने भी हरी झंडी दे दी थी.
तानाजी मालुसरे छत्रपती शिवाजी महाराज के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान मराठा सरदार थे. वे छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ मराठा साम्राज्य, हिंदवी स्वराज्य स्थापना के लिए सुभेदार (किल्लेदार) की भूमिका निभाते थे । तानाजी छत्रपती शिवाजी महाराज के बचपन के मित्र थे वे बचपन मे एक साथ खेले थे. वें १६७० ई. में सिंहगढ़ की लड़ाई में अपनी महती भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं। उस दिन सुभेदार तानाजी मालुसरेजी के पुत्र रायबा के विवाह की तैयारी हो रही थी, तानाजी मालुसरे जी छत्रपती शिवाजी महाराज जी को आमंत्रित करने पहुंचे तब उन्हें ज्ञात हुआ की कोंढाणा पर छत्रपती शिवाजी महाराज चढ़ाई करने वाले हैं, तब तानाजी मालुसरे जी ने कहा राजे मैं कोंढाणा पर आक्रमण करुंगा. अपने पुत्र रायबा के विवाह जैसे महत्वपूर्ण कार्य को महत्व न देते हुए उन्होने शिवाजी महाराज की इच्छा का मान रखते हुए कोंढाणा किला जीतना ज़्यादा जरुरी समझा. छत्रपती शिवाजी महाराज जी की सेना मे कई सरदार थे परंतु छत्ररपती शिवाजी महाराज जी ने विर तानाजी मालुसरे जी को कोढाना आक्ररमन के लिए चुना और कोंढणा 'स्वराज्य' में शामिल हो गया लेकिन तानाजी मारे गए थे। छत्रपति शिवाजी ने जब यह समाचार सुनी तो वो बोल पड़े 'गढ़ तो जीता, लेकिन मेरा 'सिंह नहीं रहा.