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सुशांत सिंह राजपूत के परिवार ने एक्टर के मामले को CBI को सौंपने पर SC को दिया धन्यवाद ; जांच एजेंसी ने मुंबई पुलिस से मांगे सभी सबूत

सुशांत सिंह राजपूत के अननेचुरल मौत की सीबीआई जांच के आदेश देने वाली सुप्रीम कोर्ट को एक ऐसे मामले के रूप में याद किया जाएगा, जहां एकल न्यायाधीश की पीठ ने संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपने पावर का इस्तेमाल किया. जस्टिस हृषिकेश रॉय ने जस्टिस एल.एस. पेंटा के जजमेंट पर फैसला लेते हुए, आर्टिकल 142 के तहत, यह फैसला लिया.

जस्टिस रॉय ने पटना के फैसले का हवाला देते हुए कहा, "पूर्ण न्याय करने के लिए आर्टिकल 142 (1) के तहत न्यायालय की यह शक्ति पूरी तरह से अलग स्तर की है और एक अलग गुणवत्ता की है. पूरी तरह से न्याय के लिए क्या आवश्यकता होगी यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा और उस शक्ति का प्रयोग करते समय न्यायालय एक ठोस क़ानून के व्यक्त प्रावधानों पर विचार करेगा. उपरोक्त अनुपात यह स्पष्ट करता है कि सुप्रीम कोर्ट एक योग्य मामले में, न्याय प्रदान करने के लिए आर्टिकल 142 शक्तियों को लागू कर सकता है. इस मामले में मौजूद अजीब परिस्थितियों के लिए आवश्यक है कि इस मामले में पूर्ण न्याय किया जाए. इसे कैसे हासिल किया जाए, यह अब तय किया जाना चाहिए."

(यह भी पढ़ें: सुशांत सिंह राजपूत में अब सीबीआई करेगी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश )

कोर्ट ने अपने फैसले में पटना में दर्ज FIR को सही ठहराते हुए, कहा कि "वर्तमान मामले में, मुंबई पुलिस ने बिना किसी एफआईआर  किए धारा 174 के दायरे को बढ़ाने का प्रयास किया है और इसलिए, जैसा कि प्रतीत होता है, मुंबई पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराध की के लिए कोई जांच नहीं की जा रही है. हितधारकों द्वारा निष्पक्ष जांच पर आशंका को देखते हुए, इस न्यायालय को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सत्य की खोज एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जाए, जो दोनों राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित ना हो. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जांच और जांच प्राधिकरण की विश्वसनीयता को संरक्षित किया जाना चाहिए."

इसके अलावा मुंबई पुलिस पर भी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है, "चूंकि मुंबई पुलिस ने राजपूत की मौत के लिए केवल एक्सीडेंटल मौत की रिपोर्ट दर्ज की थी, इसलिए इसमें सीमित जांच शक्तियां थीं. चूंकि बिहार पुलिस ने एक पूरी एफआईआर दर्ज की है, जिसे पहले से ही सीबीआई को भेज दिया गया है. ऐसे में केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच करनी चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट ने अब इस केस की भागदौड़ सीबीआई को सौंप दी है. ऐसे में अब एक्टर के परिवार की तरफ से एक स्टेटमेंट जारी कर दोस्तों, शुभचिंतकों को धन्यवाद दिया है. स्टेटमेंट जारी कर सुशांत के परिवार ने उनके दोस्तों, शुभचिंतकों और मीडिया के अलावा उनके दुनियाभर के करोड़ों फैंस को आभार व्यक्त किया है. सुशांत के प्रति अपने अगाध प्यार और हमारे साथ मजबूती से खड़े होने के लिए हम आपके कृतज्ञ है. इसके अलावा उन्होंने अपनी स्टेटमेंट में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को धन्यवाद कहते हुए लिखा है, हम श्री नीतीश कुमार, माननीय मुख्यमंत्री बिहार सरकार, का विशेष तौर पर धन्यवाद करते हैं. उन्होंने रुकी हुई न्याय प्रक्रिया को गति दी. 

उन्होंने आगे लिखा है, अब जबकि देश की सबसे विश्वसनीय इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने काम संभाल लिया है. हमें पूरा विश्वास है कि दोषियों को उनके अपराध की सजा मिलेगी. हमारा मानना है कि संस्थाओं में लोगों का विश्वास बना रहना चाहिए. आज के घटनाक्रम से प्रजातंत्र में हमारा विश्वास और भी मजबूत हुआ है. देश से हमारा प्रेम अटूट है, जो आज और भी दृढ़ हो गया है.

बिहार के डीजीपी गुप्तेशबिहार पांडे ने सुशांत के मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के सीबीआई जांच के फैसले का स्वागत किया है. साथ ही कहा है, "मैं इस फैसले से व्यक्तिगत रूप से बहुत खुश हूं."

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुशांत केस को सीबीआई को सौंपे जाने के बाद शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा कि "सुशांत केस की जांच मुंबई पुलिस ने सही से की थी. महाराष्ट्र में कानून सबसे ऊपर है. प्रदेश में सत्य और न्याय की जीत हमेशा होती रही है. जो आरोप लगाए गए वो सही नहीं हैं. बीजेपी की तरफ से गृह मंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा मांगा गया. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि अगर इस्तीफे की बात निकलेगी तो वो दिल्ली तक जाएगी. सोच समझकर लोगों को टिप्पणी करनी चाहिए." हालांकि पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे के बारे में सवाल किए जाने पर राउत ने चुप्पी बनाए रखना सही समझा. बता दें कि राउत ने सुशांत मामले में सीबीआई को जांच सौंपने के कदम का लगातार विरोध किया था.

(Source: IANS)

 

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