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Ghoomketu Review: मंझा हुआ एक्टर हुआ बुरी राइटिंग का शिकार, नवाजुद्दीन सिद्दीकी का काम अच्छा पर कहानी कमजोर

Film: घूमकेतु
OTT: जी5
Cast: नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अनुराग कश्यप
Director: पुष्पेन्द्र नाथ मिश्रा 
Rating: 2.5 मून्स 

नवाजुद्दीन स्टारर फिल्म 'घूमकेतु' की ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हो गई है. फिल्मेकर पुष्पेन्द्र नाथ मिश्रा की कॉमेडी फिल्म 'घूमकेतु' नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अनुराग कश्यप की विशेषता वाली बॉलीवुड फिल्मों में एक स्पूफ है. ZEE5 की 1 घंटे 42 मिनट की फिल्म जो एक दिलचस्प नोट पर शुरू होती है, जो  जल्द ही एक कॉमेडी बन जाती है. फिल्म में घूमकेतु का संवाद है- 'ये कॉमेडी बहुत कठिन चीज है, लोगों को हंसी आनी भी तो चाहिए'. शायद निर्देशक पुष्पेन्द्र नाथ मिश्रा खुद ही यह बात भूल गए. फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी घूमकेतु नाम के एक शख्स का किरदार निभा रहे है. वह एक राइटर बनना चाहते हैं. वहीं अनुराग कश्यप एक करप्ट पुलिस वाले का किरदार निभा रहे हैं. 

कहानी कुछ इस तरह है कि 'घूमकेतु' (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) लेखक बनना चाहता है. वो यूपी के एक छोटे से शहर का 31 वर्षीय महत्वाकांक्षी लेखक है, जो इसे बॉलीवुड में बड़ा बनाना चाहता है. अपने ख्वाब पूरे करने की चाहत उसे मुंबई तक खींच लाती है. वह ब्लडी बाथरूम, सौलेती मां, दिलवाले दुल्हनिया दे जाएंगे जैसी कहानियां लिखता है और अपनी फिल्मों में सुपरस्टार्स को फिल्माना चाहता है. वहीं दूसरी और मुंबई में, एक भ्रष्ट पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर बडलानी (अनुराग कश्यप) को 'घूमकेतु' के भाग जाने पर नज़र रखने का काम सौंपा जाता है...वहीं घूमकेतु जो एक निर्माता को अपनी भयानक स्क्रिप्ट खरीदने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है. घूमकेतु का जीवन लक्ष्य सरल है - एक बड़े बजट की फिल्म लिखना और इसके लिए ए-लिस्टर्स कास्ट करना...लेकिन जल्द ही उसे पता चलता है कि वह मुंबई जैसे शहर और बॉलीवुड जैसी इंडस्ट्री के लिए नहीं है..क्या होता है जब घूमकेतु अपने गाँव लौटने का फैसला करता है...लेकिन किस्मत ने उसके लिए कुछ और ही क्लाईमैक्स सोच रखा है. 

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ये फिल्म बॉलीवुड मसाला फिल्मों की तरह ही जिसमें छुटपुट मजाक और स्पूफ-कॉमेडी है. फिल्म दर्शकों को गुदगुदाने में विफल रहती है, वहीं नवाज़ुद्दीन के कुछ सीन्स काफी अच्छे लगते हैं. फिल्म के बारे में एकमात्र अच्छा हिस्सा चित्रांगदा सिंह, रणवीर सिंह, सोनाक्षी सिन्हा, अमिताभ बच्चन और निखिल आडवाणी और नवाजुद्दीन द्वारा बनाई गई भव्य कैमियो है...काश इन सभी एक्टर्स के रोल थोड़े लम्बे होते.

एक्टिंग की बात करें तो...इसमें कोई संदेह नहीं है कि नवाजुद्दीन एक बेहतरीन एक्टर हैं. वह इस फिल्म में भी अपनी एक्टिंग का जौहर दिखाते हैं और बहुत प्रभाव भी छोड़ते हैं. हालांकि, उनकी कॉमिक परफॉर्मेंस और टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल को बखूबी बयां करते हुए एक बुरी तरह से लिखी गई स्टोरीलाइन को ओवरशेड किया गया है. एक करप्ट पुलिस ऑफिसर का रोल में अनुराग कश्यप को पूरी तरह से सूट किया हैं.  बाकी सभी स्टार्स रागिनी धवन, रघुवीर यादव, इला अरुण और स्वानंद किरकिरे ने बेहतरीन काम किया हैं...लेकिर बेदम स्टोरीलाइन की वजह से फिल्म मात खा जाती हैं. 
पुष्पेंद्र नाथ मिश्रा 'घूमकेतु' को एक बेहतरीन स्पूफ कॉमेडी बनाने के लिए हर कोशिश करते हैं लेकिन स्क्रिप्ट की वजह से हर कोशिश बेकार हो जाती हैं. सत्य राय नागपाल की शानदार सिनेमैटोग्राफी के बावजूद पुष्पेंद्र और कृतिका अधिकारी द्वारा संपादन कई जंक्शनों पर इमैच्योर लगता हैं. हालांकि, स्नेहा खानवलकर का गानों का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की टोन से मेल खाता है.
'घूमकेतु' 70 के दशक की बॉलीवुड मसाला फिल्मों की तरह ही जिसमें छुटपुट मजाक और स्पूफ-कॉमेडी है जो कुछ समय के बाद समझ में आना बंद हो जाती है. 

पीपिंग मून फिल्म 'घूमकेतु' को 2.5 मून्स देता है. 

(Transcripted By: Varsha Dixit)

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