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अब पार्टियों में नहीं बजेगा 'साकी- साकी', जानें क्यों

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 27 नवंबर, 2019 को दिए गए आदेश ने देश भरके रेस्तरां, पब व होटल, कैफे, बार व रिसॉर्ट के लिए पीपीएल (फोनोग्राफिक परफॉर्मेंसलिमिटेड) को भुगतान किए बिना अपने परिसर में कॉपीराइट वाले लोकप्रिय गाने बजाने तथा पीपीएल से गाने बजाने की कॉपीराइट की अनुमतियां देने वाला लाइसेंस लेने से वंचित कर दिया है. उनके लिए यह आदेश नए साल की पूर्व संध्या समेत संगीत के हर प्रकार के उपयोग पर लागू होता है.

यह आदेश म्यूजिक लाइसेंस देने वाली संस्था फोनोग्राफिक परफॉरमेंस लिमिटेड (पीपीएल)द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में पारित किया गया था, जिसके तहत संगीत बजाने वाले उक्त स्थलों को एक लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा. पीपीएल इंडिया के पास3 मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू साउंड रिकॉर्डिंग के साथ 340 से ज्यादा म्यूजिक लेबलों के सार्वजनिक प्रदर्शन अधिकारों का मालिकाना हक है और/या उसके नियंत्रण में हैं.

पीपीएल इंडिया सारेगामा, सुपर कैसेट्स (टी सीरीज), सोनी म्यूजिक, यूनिवर्सल म्यूजिकसमेत और कई अन्य विशालतम रिकॉर्ड लेबलों का प्रतिनिधित्व करती है, जिन्होंनेअसाइनमेंट और / या एक्सक्लूसिव लाइसेंस अग्रीमेंट के आधार पर पीपीएल को अधिकार दिए हैं कि वह कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की प्रासंगिक धाराओं के तहत सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए लाइसेंस शुल्क एकत्रित कर सकती है.

इस आदेश का कोई भी उल्लंघन ऐसे प्रतिष्ठानों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को आमंत्रित करेगा. हाईकोर्ट का यह अखिल भारतीय आदेश पीपीएल और अन्य कॉपीराइट स्वामियों के लिएराहत की सांस भरा है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक उपयोगकर्ता नियमों का पालनकरते हुए संगीत बजाएगा.
 

(Source: PeepingMoon)

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