शनिवार को बॉलीवुड की एक अभिनेत्री ने अपने एक ट्वीट में अनुराग कश्यप के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. मंगलवार को अभिनेत्री और उनके वकील नितिन सतपुते ने वर्सोवा पुलिस स्टेशन में फिल्म निर्माता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. एफआईआर आईपीसी की धारा 376, 354, 341 और 342 के तहत गलत अपराध और महिला के अपमान करने के साथ यौन उत्पीड़न सहित कई अपराधों के लिए के लिए दर्ज किया गया है. फिल्ममेकर के खिलाफ दुष्कर्म, गलत इरादे से रोकने और अन्य मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (1), 354, 341, 342 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उनके वकील नितिन सतपुते ने अपने बयान में कहा कि अभिनेत्री ने जानबूझकर इस बात का खुलासा नहीं किया कि सेक्शुअली उन्हें असॉल्ट किया गया था क्यूंकि सबूतों को नष्ट करने के लिए अभियुक्तों की संभावना ज्यादा थी. उनके मुवक्किल को घटना की तारीख याद नहीं इस बारे में बात करते हुए सतपुते ने कहा कि उन्हें सबकुछ याद है और उन्होंने घटना की पूरी जानकारी दी है. वकील ने कहा कि पुलिस को पर्याप्त सबूत दिए गए हैं और वे उम्मीद कर रहे हैं कि कानून उन्हें अनुराग को गिरफ्तार करने में मदद करेगा.
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अभिनेत्री ने अपने ट्वीट में दावा किया कि अनुराग ने उनपर दबाव बनाने की कोशिश की. एक और इंटरव्यू में फिल्ममेकर के साथ पहली मुलाक़ात को याद करते हुए अभिनेत्री ने कहा, 'पहली बार जब मैं उससे मिली थी, तब वह अराम नगर, वर्सोवा में अपने अपने ऑफिस में थें. दूसरी बार मैं उनसे उनके ऑफिस मिलने गयी. हमने फिल्म और फिम इंडस्ट्री के बारे में बात की. उन्होंने फिर से मुझे अपने घर पर बुलाया और इस बार उन्होंने मेरे साथ जबरजस्ती करने की कोशिश की. मैंने उनसे रिक्वेस्ट की कि मुझे जाने दें, क्यूंकि मैं पाहि कभी आ जाउंगी. उसके बाद उन्होंने मुझे टेक्स्ट किया, जिसमें उन्होंने मुझे आने के लिए कहा लेकिन मैं नहीं गयी. हां, हमने मिलने के लिए डिसाइड किया था. वो मैं थी जो अनुराग से मिलना चाहती थी. अभिनेता और अभिनेत्री फिल्म निर्माताओं से मिलते है ताकि उन्हें उनके बारे में पता चले. यह काम के सिलसिले में होता है, वरना फिल्ममेकर्स को हमारे बारे में कैसे पता चलेगा.
सोमवार को अनुराग की वकील प्रियंका खिलामी ने स्टेटमेंट जारी करते हुए लिखा, 'मेरे क्लाईंट अनुराग कश्यप मेरे क्लाईंट अनुराग कश्यप को यौन शोषण के उन झूठे आरोपों से आहत हुए हैं, जो इस वक्त सोशल मीडिया पर फैला हुआ है. ये आरोप पूरी तरह से झूठ हैं, बुरी भावना और बेईमानी से लगाए गए हैं. बहुत दुखद है कि मी टू जैसे जरूरी सोशल मूवमेंट को हथियार बनाकर किसी के चरित्र पर आघात करने की कोशिश की गई है. इस तरह के झूठे आरोप, मी टू से जुड़े उन पीड़ितों के लिए आघात है जो सच में ऐसी कठिन परिस्थितियों से गुज़रे हैं'.
बयान में आगे कहा गया,'मेरे क्लाईंट को उनके सारे कानूनी तरीके और अधिकार समझा दिए गए हैं और वो पूरी तरह से उनका इस्तेमाल करने को तैयार हैं.- प्रियंका खिमानी.'