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शम्मी कपूर के बेटे आदित्य ने बताया, 'मां गीता बाली के निधन के बाद वो घायल जानवर बन गए थे, पिता की दूसरी पत्नी ने फिर से बनाया इंसान 

शम्मी कपूर के बेटे आदित्य राज कपूर ने बताया कि किस तरह मा गीता बाली के निधन के बाद वो घायल जानवर की तरह हो गए थे और पिता की दूसरी पत्नी नीला देवी ने फिर से इंसान बनने में मदद की. नीला ने फैसला किया कि वह कभी मां नहीं बनेंगी क्यूंकि आदित्य और उनकी बहन पहले से उनके पास थे. आदित्य ने डेब्यू से पहले ही फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बारे में भी बात की.

स्पॉटबॉय के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मेरी मां गीता बाली लगभग एक अशिक्षित महिला पिता से ज्यादा मुझसे बोर्डिंग स्कूल में मिलने आती थी. मेरी मां ने अपना करियर छोड़ दिया था और मेरे पिता ने बस शुरू ही किया था. उनके पास मुझसे मिलने के लिए ज्यादा समय था. मेरी मां ओरिजिनल श्रीदेवी थी. जब मैं 9 साल का था तब उनका निधन हो गया. पूरा बोर्डिंग स्कूल मेरे साथ रोया. वह मेरे सभी दोस्तों की मां थी. उनके निधन के बाद के साल मेरे लिए आसान साल नहीं थे. मां चली गयी थी, पापा इतने सक्सेसफुल हो गए कि उनके पास मेरे लिए समय नहीं था. आज के सुपरस्टार्स ने अपने जीवन को व्यवस्थित किया है. मेरे पिता के समय में फैंस के पास इंटरनेट, टेलीविजन या फिर मैगज़ीन जैसी चीजें नहीं थी, वो किसी भी समय घर पर आ जाते थे. मेरे पास कोई जगह नहीं बची थी कि मैं अपने पिता के साथ खुद का बोल सकूं.  

 नीला देवी को दूसरी मां बताते हुए आदित्य ने कहा, 'वह नीला देवी थी जिन्होंने घर में मेरे लिए वह जगह बनायीं. उन्होंने मेरे पिता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने मां न बनने का फैसला लिया क्यूंकि वो मृ मेरी बहन पहले से थे. कोई भी हिन्दू महिला ऐसा नहीं करेगी. बोर्डिंग स्कूल से मैं अपने पिता को धमकी भरे खत लिखा करता था. मैं उनसे कहता था कि मैं स्कूल से भाग जाऊंगा. मैंने उससे कहा कि वह अपनी इच्छानुसार किसी भी महिला से शादी कर सकते हैं लेकिन मुझे मां चाहिए. नीला देवी ने उस जगह को भरी. 
उन्होंने मुझ जैसे एक जानवर को इंसान के रूप में बदल दिया. बस दिखाने के लिए जाता है, कि एक मां परिवार बनाती है लेकिन मैंने अपनी मां गीता बाली को कभी याद करना नहीं छोड़ा. मेरी पहली और दूसरी मां दोनों अलग थी.'

फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने की बात को याद करते हुए आदित्य ने बताया कि मैं 17 वर्ष का था. मैं बागी था और मैं अपना फिल्‍म डेब्‍यू करने जा रहा था. फिर मुझे मेरे आध्‍यात्मिक गुरु मिले. उन्‍होंने मुझे जिंदगी बदल देने वाले शब्‍द कहे- फिल्‍म इंडस्‍ट्री छोड़ दो. आदित्‍य ने आगे कहा, 'उस वक्‍त जब ऋषि कपूर फिल्‍म बॉबी से लॉन्‍च हुए, मैं उसी के बाद आरके बैन की फिल्‍म से हीरो के तौर पर डेब्‍यू करने वाला था लेकिन तभी मैंने इंडस्‍ट्री छोड़ दी. मैं राज साहब को भी असिस्‍ट कर रहा था और फिल्‍म डायरेक्‍टर बनने की तैयारी कर रहा था. मेरे पिता ने बार-बार मेरे निर्णय के बारे में सवाल किया लेकिन मैं अपनी बात पर अटल था.'  

आदित्‍य कहते हैं, 'मेरे गुरुजी ने बिजनस में हाथ आजमाने के लिए कहा था. उन्‍होंने शिपिंग मैगनेट योगेंद्र माधव लाल और फिर राजन नंदा के साथ मेरे लिए काम अरेंज किया. फिर मैंने अपनी कंपनी शुरू की. 25 साल हो गए, मैंने सिनेमा की तरफ नहीं देखा. मैं फिल्‍में देखना बंद कर दिया. इंडस्ट्री में लौटने का मोह मुझे कभी नहीं छोड़ता था. गुरुजी के निधन के बाद मैंने फिल्‍म इंडस्‍ट्री की तरफ नहीं देखा.  दुबई जाने के बाद ही मैंने फिल्मों में वापसी की. 

आदित्य ने आगे कहा, 'जब मैं 52 वर्ष की उम्र में मुंबई लौटा तो मेरे पिता मुझे मेंटर करने के लिए तैयार थे. मैं फाइनली एक्टर बन गया. मेरे पिता मेरे प्रोमोज, ट्रेलर्स, फिल्‍मों के हर शॉट देखते थे. 76 वर्ष की उम्र में उन्‍होंने मेरे करियर गाइड और मेंटर का रोल किया. ऐसा रोल जो कि अगर मैं इंडस्‍ट्री न छोड़ता तो वह तब निभाते जब मैं 19 साल का था. पिता के अंतिम संस्‍कर पर पूरा कपूर परिवार एकसाथ आया. साइकल पूरी हो गई. मेरे पिता ने मुझे अनुमति दी कि मैं जो चाहता हूं, वह करूं। आज मैंने अपने दोनों बच्‍चों को वही आजादी दी है. मेरे पिता ने हमारे लिए मैनुअल लिखा था.'

आदित्‍य ने 'दीवानगी ने हद कर दी', 'इसी लाइफ में', 'से यस टू लव' और 'यमला पगला दीवाना 2' जैसी फिल्‍मों में काम किया है. वह आशुतोष गोवारिकर की सीरीज 'एवरेस्‍ट' में भी नजर आए थे.  
 

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