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रिमी सेन को लगता है उन्होंने कुछ भी हासिल नहीं किया, कहा- मैं धूम, फिर हेरा फेरी, हंगामा और गोलमाल में फर्नीचर थी

रिमी सेन का कहना है कि वह अपनी कुछ सबसे बड़ी फिल्मों में 'फर्नीचर' से ज्यादा कुछ नहीं थीं और उस समय वह केवल पैसे से इंस्पायर्ड थी. 

रिमी ने कहा, 'उस समय मैं इतनी मैच्योर नहीं थी. मुझे बहुत काम मिल रहा था और मैं फ्लो में जा रही थी. मैं वहां सिर्फ पैसे के लिए थी.' एक्ट्रेस ने आगे कहा, 'मैंने धूम, फिर हेरा फेरी, हंगामा, गोलमाल की और मैंने उन सभी में फर्नीचर की भूमिका निभाई थी. उस समय फिल्म इंडस्ट्री पुरुष प्रधान थी. आज कंटेंट ही हीरो है. उस समय हीरो ही सिर्फ हीरो था. आज OTT प्लेटफॉर्म्स ने सीन को बदल दिया है. 

रिमी ने कहा कि फिल्म निर्माता आज ज्यादा 'निडर' हैं, क्योंकि उनके पास केवल बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ का हिट देने का बोझ नहीं है उन्होंने कहा कि उनकी सिर्फ गलती यह है कि छोड़ने से पहले उन्होंने और लड़ाई नहीं की.' उन्होंने कहा, 'अब जब 10 साल बाद में अपनी फिल्में देखती हूं तो मुझे एहसास होता है कि मैंने क्या हासिल किया है? कुछ नहीं.?

मैं कॉमेडी फिल्मों में टाइपकास्ट थी और वो करते हुए थक गयी थी- रिमी सेन 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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एक और लीडिंग डेली के साथ इंटरव्यू में रिमी ने याद किया कि कैसे उन्होंने आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'स्वदेस' और राजकुमार हिरानी की फिल्म 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' के लिए ऑडिशन दिया था. रिमी ने कहा, 'मैंने आशितोष गोवारिकर के साथ एक बार कमर्शियल फिल्म की थी तो मेरा उनके साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ता है. मैंने स्वदेस के लिए ऑडिशन दिया था लेकिन बाद में यह फिल्म गायत्री जोशी को मिल गयी. मैंने मुन्ना भाई एमबीबीएस के लिए भी ऑडिशन दिया था और पॉजिटिव रिस्पॉन्स भी आया था लेकिन दुर्भाग्य से ग्रेसी सिंह को वह रोल मिल गया. ऐसे बहुत सारे मौके हैं जो मेरे हाथ से चले गए लेकिन फिर ऐसी चीजें एक अभिनेता के जीवन का हिस्सा और पार्सल हैं.

(Source: Indian Express)

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