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PeepingMoon Exclusive: 'मैं खुशकिस्मत हूं कि कोरोना के बावजूद मेरे पास काम की कोई कमी नहीं थी': राहुल देव

खलनायकी में एक वक्त पर अलग पहचान रखने वाले एक्टर राहुल देव अपनी दूसरी पारी में खुद को आजमा रहे हैं. फिल्मों के बाद वेबसीरीज में भी उन्हें मन मुताबिक रोल मिल रहे हैं. बतौर एक्टर राहुल देव ने खुद को इस नए दौर की कहानियों में साबित किया है. अपने आपने वाले प्रोजेक्ट, निजी जिंदगी से लेकर इंडस्ट्री के बदले पैटर्न पर पीपिंगमून से खुलकर बात की राहुल देव ने.  

सवाल- आपको फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल हो गए है लगभग. इस दौरान आप काफी शानदार प्रोजेक्ट आप कर रहे हैं. वेबसीरीज 'पोयज़न' हो या 'रात बाकी' काफी दिलचस्प लग रहे हैं. पहले के दौर में और आज की डिजिटल कहानियों में क्या बदलाव पाते हैं ?
जवाब- कहानियां तो सेम ही रहती है, बस उनका ट्रीटमेंट चेंज हो गया है. आप अगर किसी फिल्म की आज की कहानी देखेंगे तो कांटेक्ट आपको सेम ही दिखेगा बस कहानियां बताने का तरीका बदल गया है. जैसे पहले दिखाते थे कि दो गुलाब आपस में मिले और किस सीन हो गया, पर वहीं आज ऐसे सीन्स को रियल में फिल्माया जाता है. ऑडियंस भी काफी बदल गई है उस हिसाब से फिल्मों के ट्रीटमेंट भी बदल गये है. आप देखेंगे सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' कहानी भले ही जानी पहचानी हो पर उस फिल्म को बनाया इतने अच्छे तरीके से हैं फिल्म दिल को छू जाती है. मतलब सिर्फ ये है कि जिस हिसाब से ऑडियंस बदली है उस हिसाब से ट्रीटमेंट किए जा रहे है. 

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सवाल- Zee 5 की  क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज 'पोइज़न 2' में आपका कैरेक्टर कैसा है ?
जवाब- मैंने सीरीज में ACP सिकंदर का किरदार निभाया है. एक तरीके से मैं सीरीज में किसी के लिए एक टीचर की तरह हूं, जो उसको सीख देता है. यह बहुत ही स्पेशल अपीयरेंस है. यह किरदार बहुत बड़ा नहीं है, छोटा है पर सीरीज के लिए बहुत जरूरी है. दरअसल कहानी में एक बदलाव आएगा, उस टर्निंग प्वाइंट पर यह किरदार एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जब इस किरदार की एंट्री होती है उस टाइम पर स्टोरी भी चेंज हो जाती है. यह बहुत पॉजिटिव किरदार है जो कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करता है.

सवाल- आपकी डिजिटल फिल्म रात बाकी है...सुना है कि ये फिल्म किफायती बजट और एक डिसिप्लिन के साथ फ़िल्म पूरी हुई है. इस अनुभव के बारे में बताएं
जवाब- प्ले ‘बालीगंज-1990’ फेम अतुल सत्या ने इस कहानी को लिखा है. ये एक दिलचस्प कहानी के साथ एक बेहतरीन फिल्म है. फिल्म में थ्रिलर और ड्रामा का तड़का है, जिसके चलते लोग इसे जरूर पसंद करेंगे. मेरा किरदार बहुत ही शानदार है. मुझे सेट पर काफी मजा आया. मुझे यह फिल्म करने में बहुत मजा आया. रणथम्भौर में शूट करना काफी यादगार रहा. एक तो लोकेशन इतनी शानदार ऊपर से राजस्थान तो मजा डबल हो गया. सबसे बड़ी बात फिल्म की कहानी कमाल की है. एक्टर्स और डायरेक्टर्स बहुत अच्छे हैं. डायरेक्टर अविनाश दास के साथ काम करने का एक्सपीरियंस अलग है. अविनाश से पहले पत्रकार थे बाद में वह डायरेक्टर बने. उनकी खास बात यह है कि वह अपनी फिल्म को रियल लोकेशन पर सूट करते हैं. फिल्म का बहुत रियल टाइप ट्रीटमेंट है आपको देखने में बहुत मजा आएगा. 

सवाल- आपकी शुरुआत एक विलेन के तौर पर हुई, आपकी आवाज और अदायगी डर पैदा कर देती थी.  लेकिन क्या मानते हैं कि सही मौके न मिलने से आपका बेस्ट लोगों को देखना अभी बाकी है ?
जवाब- मुझे ऐसा लगता है इस साल तो मेरी कहानी शुरू हुई है यह मेरा कमबैक है. इस साल मैंने बहुत अच्छे प्रोजेक्ट पर काम किया है. मेरा यह साल बहुत अच्छा गया है. कोरोना काल के बावजूद मेरे पास काम की कोई कमी नहीं रही. 'आपरेशन परिंदे' हो या 'व्यू योर डैडी', 'रात बाकी', नेटफ्लिक्स की 'तोरबाज' इसके बाद में एक दो नए प्रोजेक्ट भी शुरू कर रहा हूं. मैं इस साल बहुत काम किया. 

सवाल- आपके फेवरेट विलेन्स कौन से हैं. मौजूदा वक़्त में किस ऐक्टर में आप पोटेंशियल देखते है जो नेगेटिव रोल अच्छे से निभा सकता है ?
जवाब- मैंने इस बारे में अभी सोचा नहीं है लेकिन हां नेगेटिव किरदार के लिए थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन इन सबसे अलग में अगर अच्छे ऐक्टर्स की बात करूं तो फिल्म इंडस्ट्री में अच्छे एक्टर की भरमार है. ऐसे बहुत एक्ट्रेस हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. मतलब ऐसी स्थिति है कि जहां पत्थर मारो वहां एक अच्छा एक्टर. और हमारी आज की जो जनरेशन है वह तो बहुत शानदार है उनका काम कमाल का है. उनकी वजह से इस इंडस्ट्री में बहुत अच्छे बदलाव आए हैं. मुझे विक्की कौशल बहुत पसंद है. एक एक्टर के तौर पर विक्की का काम शानदार है. उन्होंने 'मसान' फिल्में दिल को छू लेने वाली एक्टिंग की थी. क्या फिल्म थी वो और क्या काम किया था विक्की ने. उसके बाद भी उनकी बहुत शानदार फिल्में आई है. 


सवाल- अपनी और मुग्धा के रिश्ते के बारे में कुछ बताइए ?
जवाब- हमारी उम्र में लगभग 14 साल अंतर है और इसने मुझे चिंतित भी किया था, लेकिन बाद में मुझे महसूस हुआ कि मेरे माता-पिता की उम्र में भी 10 साल का अंतर था. तो यह इतना बड़ा अंतर नहीं है. इसके अलावा, मेरा मानना है कि जब तक आप खुश हैं, उम्र का अंतर और बाकी सब कुछ भी मुद्दा नहीं होना चाहिए. एक शादी के हमारी मुलाकात हुई जहां हमारी दोस्ती हो गई. वहां सभी कार्यों के दौरान हम एक साथ थे और वहीं हम अच्छी तरह से बंध गए. इसके बाद हमने एक-दूसरे से मिलना जुलना शुरू किया. हम करीब आ गए और एक दूसरे के प्यार में पागल हो गए. मैं ये बात कह सकता हूं कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं.

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