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Exclusive: आलिया भट्ट अरुणिमा सिन्हा की बायोपिक में आएंगी नजर

बॉलीवुड की टैलेंटेड एक्ट्रेसेस में से एक आलिया भट्ट जिन्हे हमने हालही में रिलीज हुई 'गली बॉय' में शानदार एक्टिंग कर तारीफें बटोरते हुए देखा, वह आने वाले समय में कलंक, ब्रह्मास्त्र और सड़क 2 जैसी फिल्मों में नजर आने वाली हैं. इसके अलावा भी आलिया के हाथों में और भी शानदार फ़िल्में आती हुई नजर आ रही हैं. आलिया भट्ट ने अब एक बायोपिक साइन की है जो उनके करियर की एक ऐतिहासिक फिल्म बन सकती है.

Peepingmoon.com को एक्सक्लूसिव रूप से यह खबर पता चली है कि आलिया भट्ट दुनिया की पहली दिव्यांग महिला की बायोपिक में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाली अरुणिमा सिन्हा की भूमिका निभाने वाली हैं. बायोपिक जाहिर तौर पर उनकी किताब पर आधारित होगी जिसका टाइटल है "बॉर्न अगेन ऑन द माउंटेन: ए स्टोरी ऑफ़ लूज़िंग एवरीथिंग एंड फाइंडिंग बैक" है. हमारे सूत्रों के अनुसार, आलिया ने इस बात पर अपनी सहमति दी है और इस समय फिल्म की स्क्रिप्टिंग अरुणिमा के साथ हो रही है.

इस प्रोजेक्ट से नजदीक एक सूत्र से मिली जानकरी के मुताबिक, "इस बायोपिक को प्रोड्यूस करने के लिए मोशन पिक्चर्स के प्रोड्यूसर विवेक रंगाचारी ने करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस के साथ हाथ मिलाया है."

हमारे सूत्रों का कहना है कि आलिया को वजन बढ़ाने के लिए कहा गया है ताकि वह अपनी भूमिका में सही ढंग से फिट बैठ सकें. इस फिल्म के लिए वह कुछ ट्रेनिंग भी लेंगी, ताकि वह पर्वतारोही की शारीरिक भाषा को अच्छी तरह से अपना सकें.

आलिया भट्ट की इस अनटाइटल्ड फिल्म की शूटिंग की शुरुआत उनके पिता महेश भट्ट की फिल्म 'सड़क 2' की शूटिंग पूरी होने के बाद शुरू होने की बात सुनने में आ रही है. धर्मा प्रोडक्शंस ने जाहिर तौर पर मसान फेम नीरज घायवन को इस यूपी की लड़की की साहसी कहानी को बड़े पर्दे पर दिखाने के लिए चुना है. हालांकि इस प्रोजेक्ट से जुडी अन्य सभी बातें अभी छुपा कर रखी गयी है. ऐसे में हमने सुना है कि बायोपिक को लखनऊ और अन्य शहरों में फिल्माया जाएगा जो अभी तय नहीं है.

अरुणिमा सिन्हा की कहानी आशा, साहस और लचीलापन की एक अविस्मरणीय कहानी है. वह एक राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी थी जिसे लुटेरों ने चलती ट्रेन से बाहर धकेल दिया था, जबकि उन्होंने उनसे लड़ाई करने का प्रयास किया था. इस भयानक दुर्घटना के बाद उन्होंने अपना बाया पैर खो दिया और उसके एक साल बाद वह हाईएस्ट पीक पर चढाई कर पहली दिव्यांग महिला बन गईं.

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