By  
on  

PeepingMoon2020: अन्वित दत्त से लेकर हनि त्रेहान तक हिंदी सिनेमा के इन डायरेक्टर्स ने 2020 में अपने विजन से सिनेमा को दिया अलग मुकाम

2020 में सिर्फ एक्टिंग टैलेंट नहीं दिखा बल्कि कुछ फीमेल डायरेक्टर्स भी नए कंटेंट के साथ सामने आयी. जिनकी फिल्मों ने दर्शकों को खूब पसंद किया. 

साल की शुरुआत मेघना गुलज़ार की 'छपाक' से हुयी, जिसमें दीपिका पादुकोण ने मालती का किरदार निभाया था, जो एक एसिड अटैक सर्वाइवर होती है. मेघना ने एक निर्देशक के रूप में एक महत्वपूर्ण बातचीत शुरू की कि एसिड अटैक ठीक नहीं है और किसी को चुप नहीं रहना चाहिए बल्कि न्याय के लिए लड़ना चाहिए. 

 

आरती कदव 

विक्रांत मेस्सी और श्वेता सिंह त्रिपाठी की फिल्म 'कार्गो' की निर्देशिका आरती कदव ने अपने निर्देशन से सबका दल जीत लिया. बतौर निर्देशिका यह उनकी पहली फिल्म थी. फिल्म में विकर्णाट अंतरिक्ष राक्षस बनें थे. फिल्म में विज्ञान के माध्यम से मौत के बाद की जिंदगी के बारे में बताया गया है. श्वेता एक अंतरिक्षयात्री की होती हैं जो अपने सहयोगी (विक्रांत) की मदद करती हैं, जो एक स्पेस स्टेशन में 'पोस्ट डेथ ट्रांजिशन सर्विसेज' का संचालन करने वाले एक राक्षस के किरदार में होते है. 

अन्विता दत्त

इस साल एक और निर्देशिका ने डायरेक्टर की दुनिया में कदम रखा, जिनका नाम अन्विता दत्त है. जिन्होंने तृप्ति डिमरी, अविनाश तिवारी, राहुल बोस और पाओली दाम स्टारर बुलबुल का निर्देशन किया था. स्क्रीनप्ले राइटर के रूप में काम करने वाली अन्विता ने एक ऐसी कहानी सुनाई, जो एक पितृसत्तात्मक समाज के आतंक को संबोधित करती है, जहां एक महिला को अपना सम्मान पाने के लिए अपने भीतर की दुर्गा को प्रसारित करना पड़ता है.

अलंकृता श्रीवास्तव 

2020 की अगली रिमार्केबल डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव हैं, जिन्होंने भूमि पेडनेकर, कोंकणा सेन शर्मा, विक्रांत मेस्सी स्टारर 'डॉली किटी और वो चमकते सितारे' का निर्देशन किया था. अपने दोनों किरदार डॉली और किटी के जरिये अलंकृता ने अपनी फीमेल ऑडियंस को अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने के लिए कहा. डॉली और किटी फिल्म में अपनी आजादी के लिए संघर्ष करती है. 
 

अनु मेनन 


दुनिया के सामने ह्यूमन-कंप्यूटर 'शकुंतला देवी' की कहानी बताने के लिए अनु मेनन को सही मायने में श्रेय दिया जाना चाहिए. विद्या बालन को मुख्य किरदार में लेते हुए अनु बताती हैं कि कैसे एक महिला आत्मविश्वास के साथ दुनिया को जीत सकती है.

 सर के तिलोटामा शोम जिन्होंने रत्ना की भूमिका निभाई थी, ने सभी को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित किया. इस तथ्य को बताते हुए कि कोई अपनी वित्तीय स्थिति के बावजूद बेहतर भविष्य का सपना देख सकता है, निर्देशक रोहना गेरा ने एक आदर्श चरित्र को जन्म दिया जिसे समाज को मूर्तिमान करना चाहिए. 
 
डायरेक्टर्स विद अ विजन 

जहां फीमेल डायरेक्टर्स अपने फ्रेश कंटेंट के जरिये कुछ अलग लेकर आयी वहीं मेल डायरेक्टर्स ने ओटीटी पर कई तरह की फिल्मों के माध्यम से सिनेमा के लिए अपना विजन दिखाया. दिल को छू लेने वाले किस्से सुनाते हुए, उन्होंने 2020 जैसे सुस्त साल में कुछ अच्छे कंटेंट्स की डिलीवरी की. इस साल की तीन सबसे प्यारी फिल्में आसानी से 'चिंटू का बर्थडे', कामयाब और रामसिंह चार्ली हो सकती हैं. देवांशु कुमार और सत्यांशु सिंह के निर्देशन में बनी 'चिंटू का बर्थडे' अच्छी फिल्म थी. 


 
रामसिंह चार्ली के साथ, निर्देशक नितिन कक्कड़ ने दर्शकों के सामने एक सरल कहानी लाने की कोशिश की. एक इंसान अपने सपने को जीकर किस तरह खुश होता है और जब वही सपना उससे छीन लिया जाता है तो कैसे वह दुखी हो जाता है. 

'कामयाब' में निर्देशक हार्दिक मेहता उन सभी तत्वों को जोड़ने की कोशिश करते है जो नायक के संघर्ष बताती है. फिल्म को कॉम्प्लिकेट बनाए बिना, हार्दिक ने यह सुनिश्चित किया कि उनका विजन दर्शकों के दिलों में घर बना ले. 

कुछ फिल्म मेकर्स ने सक्सेसफुल एक्सपेरिमेंट्स के साथ थ्रिलर जॉनर में भी हाथ आजमाया. मनोज बाजपेयी की 'भोंसले' एक स्टैंड-आउट फिल्मों में से एक के रूप में सामने आई. आकर्षक थ्रिलर को देवाशीष मखीजा द्वारा निर्देशित किया गया था. हम उनकी और फिल्में देखना पसंद करेंगे. 

क्राइम थ्रिलर के साथ कास्टिंग निर्देशक हनी त्रेहान ने निर्देशन की शुरुआत की. अगाथा क्रिस्टी जैसी हत्या के रहस्य में पितृसत्ता को समाप्त करने और महिलाओं को समान रूप से महत्व देने की दिशा में एक प्रयास था.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'सीरियस मैन' के निर्देशक सुधीर मिश्रा ने ख़ूबसूरती से उसे बनाया था. यह साबित करते हुए कि बॉलीवुड में कोई भी बेहतर निर्देशक नहीं है जो राजनीति, वर्ग विभाजन और अन्य सामाजिक समस्याओं को समझता है, सुधीर ने दर्शकों को हमेशा के लिए एक फिल्म दी.

 

2020 में नेटफ्लिक्स ने 3 अत्यधिक व्यावसायिक अभी तक कंटेंट ड्रिवेन सिनेमा पेश किया है. 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' में, पहली बार निर्देशक शरण शर्मा ने सभी को सिखाया कि एक बायोपिक कैसे बनाई जाती है. IAF पायलट गुंजन सक्सेना के जीवन पर आधारित, फिल्म ने उन्हें कई तरह से बहादुरी दिखाने के लिए ट्रिब्यूट दिया.

अनुराग बासु की 'लूडो' एक एंटरटेनिंग फिल्म थी. अनुराग बसु द्वारा निर्देशित, एक कलाकारों की टुकड़ी के साथ फिल्म ने एक आकर्षक रास्ता अपनाया. 

अनमोल कपूर और अनुराग कश्यप की फिल्म 'एके वर्सेज एके' को एक शैतानी और मज़ेदार फिल्म के रूप में वर्णित किया जा सकता है.  विक्रमादित्य मोटवानी द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म ने बेहतरीन प्रयोग के साथ ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म में पर्याप्त ताजगी का संचार किया.  

Recommended

PeepingMoon Exclusive