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फिल्म का नाम 'लैला मजनू' है लेकिन यह आज के जमाने की कहानी है- अविनाश तिवारी

एकता कपूर के प्रोडक्शन हाउस 'बालाजी मोशन पिक्चर्स' के बैनर तले बनी फिल्म 'लैला मजनू' की रिलीज में कुछ ही दिन रह गए है. फिल्म में मजनू का किरदार निभा रहे अविनाश तिवारी ने PeepingMoon.com से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि क्यों यह फिल्म पुरानी 'लैला मजनू' से अलग है.

सवाल - 'लैला मजनू' की कहानी पहले से दर्शको के बीच में है, तो इस फिल्म में क्या कुछ अलग है?
जवाब- दरअसल, मैंने अपने आसपास बहुत लोगो से ये सवाल पूछा है और किसी को भी इसका जवाब सही से पता नहीं कि 'लैला मजनू' की कहानी क्या है. अक्सर लोग मुझे कहते है कि यह तो देसी 'रोमियो और जूलियट' है, तो मैं बता दूं कि 'रोमियो और जूलियट' शेक्सपियर ने लिखी थी, जो 400- 500 साल पहले लिखी गई. 'लैला मजनू' यह एक कविता है, जो निज़ामी साहब ने लिखी है. आज तक ये कहानी हमारी फिल्में और गानों का हिस्सा रही है. हम 'लैला मजनू' के गाने पर नाचते जरूर है लेकिन कहानी क्या है, वो किसी को पता नहीं है. हमने बस फिल्म का नाम 'लैला मजनू' रखा है मगर फिल्म आज की है. यह एक क्लासिकल थीम है, जिसे आज के समय में पेश किया गया है.

सवाल- फिल्मों को लेकर लोग बहुत सेलेक्टिव हो गए हैं. आज ऑडियंस का टेस्ट बदल गया है, तो आपको किसी तरह का डर था कि फिल्म हिट होगी या नहीं?
जवाब- तो क्यों लोग आज भी लैला मजनू के गाने पर डांस करते हैं. मुझे नहीं समझ आता कि आज तक सारी प्रेम की कहानियां कहां से चली आ रही हैं. अगर हम ये सोचते हैं कि एक कहानी, जो इतने सालों से चली आ रही है और ना जाने कितने साल तक चलेगी. इस तरह की कहानी एवरग्रीन होती है. इम्तियाज सर की फिल्में अगर आप देखें तो एपिक स्टोरी है. हर फिल्म में अलग- अलग रूप है. लोगों को लगता है कि उन्हें 'लैला मजनू' की कहानी पता है लेकिन ऐसा है नहीं, और ऐसी फिल्म का हिस्सा बनने का मुझे मौका मिला, मेरे लिए तो यह सौभाग्य की बात है.

सवाल- आज लोगों के पास थिएटर जाने का समय नहीं है. चलते- फिरते सोशल मीडिया पर फिल्में देख लेते है. इसपर क्या कहना चाहते हैं आप?
जवाब- मेरे ख्याल से यह एक इंटरनेशनल प्रॉब्लम है. इसमें कोई दो राय नहीं कि लोगो ने थिएटर जाना कम कर दिया है. हमारे देश की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि फिल्म्स के लिए यहां पर स्क्रीन्स बहुत कम है. 4000-5000 स्क्रीन्स है, जो बड़ी बड़ी फिल्मों के लिए जाते है लेकिन होम डिलीवरी आ गई है तो क्या लोग बाहर जाकर खाना नहीं खाते.

सवाल- आपकी आखिरी फिल्म 'बरुन सोबती के साथ 'तू है मेरा संडे' थी. ऑफ स्क्रीन आपकी उनके साथ बॉन्डिंग कैसी है?
जवाब- अब तो बरुन सोबती बहुत अच्छे दोस्त है मेरे. उन्होंने मुझे फोन किया और कहा, 'भाई तूने कमाल कर दिया'. जो तूने किया है, वो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था. बरुन बहुत अच्छे इंसान है. जितना प्यार आपको उन्हें ऑन स्क्रीन इमेज से है उतना ही प्यार आपको उनके ऑफ स्क्रीन इमेज से भी होगा क्यूंकि वो बहुत ही रियल है.

सवाल- 'लैला मजनू' का ट्रेलर देखने के बाद आपका क्या रिएक्शन था?
जवाब- संतुष्ट था कि फाइनली ट्रेलर आ गया. स्क्रीन पर खुद को देखना मुझे पसंद नहीं है. मैं थोड़ा क्रिटिकल हो जाता हूं.

सवाल- जब आप लोग कश्मीर में फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो किसी तरह की परेशानी हुई?
जवाब- प्रॉब्लम हर जगह पर है, लेकिन कश्मीर में कुछ होता है तो मुद्दा बन जाता है. वहां के लोग बहुत ही अच्छे हैं. हमने फिल्म में भी कश्मीर के कल्चर को दिखाने की कोशिश की है. वहां के प्रेमी- प्रेमिका कैसे रहते हैं, क्यूंकि वहां के लोग दूसरे शहरों से थोड़ा पीछे चलते है.

सवाल- शूटिंग के दौरान आपके और तृप्ति के बीच कोई फनी सीन हुआ है. आपने उन्हें छेड़ा हो?
जवाब- हमारे लड़ाई झगडे बहुत हुए है (हंसते हुए). मैंने उसे परेशान बहुत किया है. जब मैं सेट पर पहुंचता था तो मुझे हर तरफ खुशनुमा माहौल चाहिए थे लेकिन वो बहुत शांत रहती थी, तो जब मैं उसे तंग करता तो वह मुझे गुस्से से देखती.

सवाल- बॉलीवुड में आप किसे सबसे ज्यादा एडमायर करते हैं?
जवाब- मैं अमिताभ बच्चन जी को बहुत एडमायर करता हूं.

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