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राजकुमार गुप्ता: 'इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड' सच्ची घटना और हीरो की कहानी है

बॉलीवुड के जानेमाने डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत आज से 10 साल पहले यानी साल 2008 में की थी. बता दें कि राजकुमार ने अपनी पहली फिल्म के बाद ही खूब नाम कमाया और इस तरह से अपना नाम मंझे हुए डायरेक्टरों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया. हाल ही में अजय देवगन के साथ ‘रेड’ को डायरेक्ट कर चुके राजकुमार गुप्ता की पीपिंगमून के साथ हुई बातचीत में उन्होंने कई खास बातों से पर्दा उठाया है.

2008 में आमिर से 2018 में इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड अपने तक बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर आप कितने बदले हैं ?

फिल्म मेकिंग अब बदल कर डिजिटल हो गया है. जिस तरह के अवसर मौजूद हैं वह भी बदल गये हैं. जब मैंने अपनी पहली फिल्म की थी, वह एक छोटी फिल्म थी, जो की चली और कई सारे फिल्म मेकर्स को उसने इंस्पायर्ड भी किया था. किसी कारण से साल 2010 से 2013 के बीच में छोटी फिल्में नहीं बनी थी, लेकिन फिर से उनका चलन शुरु हो गया है. यह लिमिटेड टाइम और जगह में अपनी कहानी बोलने का एक तरीका है. यहां कुछ लोग हैं जो छोटे फिल्म में विश्वास करते हैं और उनमें पैसा डालना पसंद करते हैं. और ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जो उन्हें देखना पसंद करते हैं. दर्शकों को अच्छे कंटेंट की जरूरत है. जहां तक मेरा मानना है मेरी सभी फिल्में अलग तरह की कहानी पर रहे हैं जिसे दर्शकों ने पसंद किया है. दृष्टिकोण के संदर्भ से ज्यादा बदलाव नहीं आया है. सभी अच्छी फिल्म बनाना चाहते हैं. लेकिन इसके प्लेटफार्म बदल चुके हैं. चीजें बहुत अग्रेसिव हो गई हैं. लेकिन साथ में अधिक प्रोफेशनल भी हो गईं हैं.

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अर्जुन कपूर इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड के हीरो होने वाले हैं, जिनका कहना है कि आप की फिल्में सच्ची कहानी दिखाते हैं.

मुझे रियल लाइफ सिचुएशन और सच्ची कहानियों से जुड़े हुए लोगों से इमोशनल कनेक्टिविटी जैसा महसूस होता है. जब मैं किसी घटना से अपने आप को ऐसे कनेक्ट कर पाता हूं, तब मैं उसकी कहानी अच्छी तरीके से बता पाता हूं. मुझे उस तरह की मोटिवेशन की जरूरत है. और क्योंकि मैं सिनेमाई रूप से एक असली कहानी बताता हूं, जिसे सिनेमा पर आने की जरूरत है. मुझे उस कहानी के लिए एक काल्पनिक किरदार बनाना पड़ता है. लेकिन फिल्म की असली कहानी उसमें हमेशा बनी हुई रहती है. नहीं तो मुझे ऐसा महसूस होने लगेगा कि ऐसा कुछ भी दुनिया में हुआ ही नहीं था. और मैं इस तरह से कनेक्शन खो दूंगा. मेरे लिए फिल्म से जुड़े रहना जरूरी है.

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क्या इंडियाज मोस्ट वांटेड एक देशभक्ति फिल्म है?

बिल्कुल नहीं. अगर आप मेरी फिल्मों पर ध्यान देंगे तो आपको समझ में आएगा कि मैं सिर्फ कहानी के बारे में सोचता हूं और किसी चीज के बारे में नहीं. यहां तक कि मैं कास्ट भी नहीं देखता. तो इस तरह से तो आप देशभक्ति तो छोड़ ही दें. मैं एक कहानी के संदर्भ में कभी भी इंसान के इमोशंस के बारे में सोचता हूं. बेसिक ह्यूमन इमोशन क्या है जो किसी व्यक्ति को उस परिस्थिति में वैसा करने के लिए उकसाता है और और बाधाओं के बावजूद भी उसे वह काम करवाता है? क्या उसमें कुछ है? जिस की कहानी बताई जा सकती है? इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड पर मैं पिछले 4 साल से काम कर रहा हूं. कहानी कभी भी अचानक से नहीं आती. मैं इस कहानी से इंस्पायर था. मैंने इसके ऊपर रिसर्च करने के लिए लगभग 1 साल का समय लिया और फिर ऐसे लिखा.

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