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रिव्यू:'पैडमैन' में छा गए अक्षय कुमार

कुछ फिल्मों को जबतक हम देखते नहीं तब तक हमें ये लगता है कि हमें उनके बारे में सब पता है.मैंने भी पैडमैन के बारे में सोचा था कि ये टुकड़ों में अच्छी होगी,पूरी नहीं क्योंकि आख़िरकार ये है तो एक कमर्शियल बॉलीवुड फिल्म ही जो गाँव-देहात में माहवारी को लेकर धारणाओं को दर्शाती है.वैसे,मैंने ये भी नहीं सोचा था कि ये कोई डाक्यूमेंट्री होगी.खैर,ये कहानी है अरुणाचलम मुरुगानाथम की जिन्होंने रूरल इंडिया ने मेनस्ट्रल हाइजीन को लेकर एक रेवोलुशन ही ला दिया था.वह कम बजट के सेनेटरी पैड्स मशीन बनाकर महान बन गए.

कहानी:फिल्म की कहानी ट्विंकल खन्ना की बेस्टसेलिंग नॉवेल 'द लेजेंड ऑफ़ लक्ष्मी प्रसाद' पर आधारित है.आर बाल्की ने गांव से निकालकर इसे इक्कीसवी सदी की लव स्टोरी बना दिया है जिसकी कहानी में केवल सेनेटरी हाइजीन ही छाया रहता है.दो घंटे का कॉमेडी-ड्रामा अच्छा है.इश्यू रियल है.माहवारी हमारे देश में एक टैबू है.82 प्रतिशत महिलायें आज भी सेनेटरी पैड्स नहीं पहनती हैं.गांवों में पीरियड्स होने पर महिलाओं को गलत तरीके से ट्रीट किया जाता है.यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो कि अपनी वाइफ को ही ऐसी परेशानी से जूझते हुए देखता है और कम दाम में पैड्स बनाता है.फिल्म एक रफ़्तार से चलती है लेकिन इसका क्लाइमेक्स चौंका जाता है.

एक्टिंग:पैडमैन बने अक्षय कुमार अपनी बेस्ट परफॉरमेंस देते हुए दिखते हैं और दिल को छू जाते हैं.आपको हंसाते-हंसाते रुला भी जाते हैं और आप तालियां बजाने पर मजबूर हो जाते हैं और यह सोचते हैं कि ये सिर्फ बॉलीवुड एंटरटेनर ही नहीं जो एक सोशल मैसेज देती है बल्कि जिंदगी का फलसफा भी है कि अपनी पत्नी के लिए एक व्यक्ति किस हद तक जा सकता है.यूनाइटेड नेशंस में स्पीच देने वाले सीन में अक्षय कमाल का अभिनय करते दिखते हैं.उनके एक्सप्रेशन,चेहरे पर लाचारपन देखने लायक है.सीधी-सादी पत्नी के रूप में राधिका आप्टे ने बढिया एक्टिंग की है और सोनम मॉडर्न लड़की हैं जिनकी वजह से पैडमैन बनता दिखाई देता है.

निर्देशन:आर बाल्की अपनी एडवटाईजिंग और फिल्ममेकिंग के एक्सपीरियंस के जरिये कहानी को सच्चाई और सरलता से पेश करने में कामयाब हुए हैं.इंडिया के छोटे कस्बे शायद अक्षय की टॉयलेट एक प्रेम कथा और अब पैडमैन से पहले इतने खूबसूरत नहीं लगे होंगे.फिल्म में पांच गाने हैं जो कहानी के साथ जमते हैं.वो कब आते हैं और कबी जाते हैं,आपको पता नहीं चलता लेकिन ये सिनेमाघर से निकलने के बाद लम्बे समय तक आपके दिमाग में छाए रहते हैं.

डायलॉग्स:फिल्म में आपको अमिताभ बच्चन का कैमियो भी देखने को मिलेगा जो कि यह कहते नजर आते हैं कि अमेरिका में सुपरमैन,बैटमैन और स्पाइडरमैन है लेकिन इंडिया में पैडमैन है.क्या ये फिल्म का बेस्ट डायलॉग है?मैं तो जाऊंगा अक्षय के इस डायलॉग के साथ जो कि है-औरत मजबूत,मां मजबूत,बहन मजबूत तो देश मजबूत'.

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