Indori Ishq Review: टीनएज रोमांस और प्यार में मिले धोखे को दिखाने की नाकाम कोशिश है ये वेब सीरीज

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शो: इंदौरी इश्क
कास्ट: ऋत्विक साहोरे, वेदिका भंडारी,अक्षय कुलकर्णी, मीरा जोशी, तिथि राज, डोना मुंशी और धीर हीरा
निर्देशक: समित कक्कड़
ओटीटी: MX ओरिजिनल सीरीज 
अवधि: 9 एपिसोड
रेटिंग: 1.5 मून्स

MX ओरिजिनल सीरीज 'इंदौरी इश्क' हमें GenZ आशिक के एकतरफा प्यार के सफर से रूबरू कराती है. अपनी स्कूल की पढाई खत्म कर कुणाल (ऋत्विक साहोरे) मुंबई पहुंचता है. वह खुद को सबसे खुशहाल व्यक्ति मानता है, क्योंकि उसके जीवन में उसकी स्कूल टाइम क्रश तारा (वेदिका भंडारी) का प्यार होता है. लेकिन चीजे हमेशा वैसी नहीं होती जैसा की हम प्लान करते हैं. तारा किसी और के लिए कुणाल को छोड़ देती है और इस तरह से वह दर्द और पागलपन की दुनिया में चला जाता है. समित कक्कड़ द्वारा निर्देशित, इस 9 एपिसोडिक ड्रामा में ऋत्विक और वेदिका मुख्य भूमिका में हैं. इसमें अक्षय कुलकर्णी, मीरा जोशी, तिथि राज, डोना मुंशी और धीर हीरा भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं. नीचे लिखा गया रिव्यू केवल सीरीज के 9 में से 2 एपिसोड्स पर है.

'इंदौरी इश्क' सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत तेज कार चलाते हुए कुणाल से होती है, जो अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में सोचते हुए रोता और टूटा हुआ नजर आता है. जिसके बाद वह अपनी कार को रात के सनाटे में चलाते हुए एक स्लम में लेकर आता है और एक शख्स (उज्जवल गौरहा शिवा) के दरवाजे को जोर से ठोकता है, जिसमे से एक टोपी, बनियान और लुंगी पहना हुआ शख्स बाहर निकलता है. कुणाल को देख ऐसा लगता है कि वह प्यार में धोखा खाने के बाद उसका बदला लेने के लिए निकला है. कुणाल उस शख्स को पैसे देता है, जिसके बदले में वह उसे एक बंदूक देता है. जिसके बाद कुणाल अपनी गर्लफ्रेंड के घर पहुंचता है और तब सीरीज में लंबे म्यूजिक के बाद कुछ कहते हुए बैकग्राउंड में सुनाई देता है कि 'हर लव स्टोरी में एक हीरो होता है और एक हीरोइन लेकिन ये लव स्टोरी थोड़ी अलग है. ऐसे में वह अपनी गर्लफ्रेंड पर अपनी बंदूक तान देता है. 

सीरीज की कहानी आगे बढ़ती है, कुणाल मुंबई के एक स्लम के बाहर अपना बैग लिए खड़ा नजर आता है, तब ही अचानक से रेशमा (डोना मुंशी) की एंट्री होती है, जो घर की चाबी मिलने की बात कहती है. जब कुणाल उसके साथ घर के पास पहुँचता है, तब ताला खुलता नहीं और जोर से धक्का मारने की वजह से रेशमा से दरवाजा टूट जाता है. कुणाल का ध्यान इसी बीच लम्बे समय से बंद पड़े रूम की दीवारों की तरफ जाता है, जिसपर अजीब सी पेंटिंग बनी हुई होती हैं. कुणाल का सबसे पहला सवाल ये होता है कि ये समान किसका है, जिसके जवाब में रेशमा बताती है कि ये उससे पहले रहने वाले शख्स जोजो का है, पेंटर बनने आया था, लेकिन नशे की लत की वजह से उसी कमरे में चल बसा. ऐसे में अचानक पुलिस की गाड़ी के सायरन की आवाज आती है और वह सहम जाता है.

अब कहानी की शुरुआत इंदौर से होती है, इसे फ्लैशबैक में दिखाया जाता है. कुणाल 2008 में अपनी स्कूल बस में बैठे अपने बेस्टफ्रेंड हरी माथुर (धीर हिरा) का इंतजार करता रहता है. जिसके बाद फिर कहानी प्रेजेंट की झलक दिखाती है, जिसमे कुणाल कहता नजर आता है कि प्यार को गंभीर लेने वाले लैला मजनू का एन्ड अच्छा नहीं होता, जैसा मेरा हुआ है. कुणाल हर पल नशे में डूबा रहता है और बताता है कि कैसे कुछ आगे बढ़ जाते हैं और कुछ मर जाते हैं. कहानी फिर से फ्लैशबैक में जाती है और इस बार क्लास रूम में बैठे कुणाल की नजर तारा (वेदिका भंडारी) पर जाती है, वह उससे प्यार करने लगता है. कुणाल कई बार तारा को अपने प्यार का इजहार करने की कोशिश कर चूका होता है, लेकिन कामयाब नहीं हो पाता. घर पर भी कुणाल को पिता द्वारा क्लास में पढाई में मामले में अव्वल आने के लिए प्रेशर दिया जाता है. हालांकि, पिता का इस तरह का रवैया कुणाल को मर्चंट नेवी अफसर बनाने के लिए होता है, लेकिन अंदर ही अंदर वह बेटे से बहुत प्यार करता रहता है. वहीं, शहर में हो रहे अल्ताफ राजा के स्टेज शो के दौरान आखिरकार कुणाल और तारा की दोस्ती होती है, लेकिन तारा से अपने प्यार का इजहार करते ही उसे मिर्गी का झटका आ जाता है. 

मुंबई भाग कर आये कुणाल को आगे पता चलता है कि उसे रूम दिलाने वाली रेशमा एक बार डांसर भी है. ऐसे में जब रेशमा, कुणाल से तारा का नाम कमरे के दीवारों पर पढ़ पूछती है कि इसका क्या चक्कर है, तो कहानी फिर से हमें फ्लैशबैक में लेकर जाती है. फीटस आने की वजह से शर्मिंदा कुणाल अपने दोस्त के साथ बात करते रहता है, तब ही तारा आकर उसके प्यार को स्वीकार करती है. लेकिन प्रेजेंट में रेशमा से बात करते हुए कुणाल कहता है कि काश तारा ने उसे हां नहीं किया होता और उसे उससे प्यार नहीं हुआ होता. कहानी फिर फ्लैशबैक में जाती है और कुणाल मर्चेंट नेवी अफसर बनने के लिए मुंबई आ गया होता है, जहां उसकी मुलाकात कामना (तिथि राज) से होती है. अपने जिस रिश्तेदार के घर में कुणाल रहने गया होता है, वहां उसके साथ रहने के लिए महेश (अक्षय कुलकर्णी) भी आता है. जहां कुणाल के पास कोई नशा नहीं रहता, वहीं महेश हर तरह की कमियों से भरा रहता है. 

बढ़ते समय के साथ कुणाल का एग्जाम अच्छा नहीं जाता, वहीं दूसरी तरफ तारा भी उसका कॉल नहीं उठाती है.  जबकि कामना कुणाल की तरफ आकर्षित होती है, लेकिन कुणाल खुद को संभाल लेता है, वह इस बात से अनजान होता है कि तारा उसे धोखा दे रही है. हालांकि, क्या कुणाल तारा को मार देता है ? सब समझ में आने के बाद भी वो अपनी जिंदगी क्यों बर्बाद करता है? क्यों छुप कर रह रहा है ? इन सभी सवालों के जवाब के लिए आपको पूरी सीरीज देखनी होगी.

लीडिंग जोड़ी की बात करें तो, ऋत्विक साहोरे ने अपनी तरफ से सीधे और मासूम से दिखने वाले आशिक़ से बदला लेने वाले दीवाने तक तप्दील हुई अपनी भूमिका को अच्छी तरह से निभाने की पूरी कोशिश की है. दूसरी तरफ देखा जाये तो तारा के किरदार में वेदिका भंडारी के पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है. सीरीज में मौजूद दूसरे किरदारों की बात करें तो, धीर हिरा ने हरी के रूप में बेस्टफ्रेंड के किरदार के साथ न्याय किया है.जबकि डोना मुंशी और तिथि राज के किरदारों को देख ऐसा लगता है कि उन्हें सीरीज में जबरन डाला गया है. हालांकि, महेश की भूमिका में अक्षय कुलकर्णी ने अच्छी तरह से प्लेबॉय के किरदार को निभाया है, लेकिन उन्हें सीरीज में सिवाय बोल्ड सीन्स करने अलावा और कुछ नहीं दिखाया गया है.

समित कक्कड़ ने निर्देशक के रूप में कहानी के साथ न्याय करने की कोशिश की है, लेकिन हर दूसरे मिनट में फ्लैशबैक में जाना और फिर वर्त्तमान में क्या चल रहा है उसे दिखाने के चक्कर में चीजे उलझती हुई नजर आती हैं. कहानी अच्छी की जा सकती थी, साथ ही अपूर्व आशीष द्वारा की गयी एडिटिंग को थोड़ा और क्रिप्स किया जा सकता था. हालांकि, सीरीज की शानदार सिनेमेटोग्राफी के लिए विजय मिश्रा की तारीफ की जानी चाहिए. साउंड डिपार्टमेंट में यश दरजी और प्रतिक गोस्वामी ने अच्छा काम किया है, जबकि प्रशांत श्रीनिवास द्वारा दिया गया म्यूजिक कैची है.

अगर आप लव, सेक्स और धोखे से भरी एक और कहानी देखना चाहते हैं, तो 'इंदौरी इश्क' को वन टाइम वॉच के रूप में देखा जा सकता है.

PEEPINGMOON इंदौरी इश्क को 1.5 मून्स देता है

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