1 अप्रैल 2006 को जब प्रत्युषा बनर्जी के निधन की खबर मीडिया में आयी तब सभी चौंक गए थे. 'बालिका वधू' में आनंदी के किरदार ने उन्हें खूब शोहरत दिलाई थी लेकिन प्रत्युषा के निजी जीवन में बड़ी उदासी थी. प्रत्युषा ही अपने माता- पिता का इकलौता सहारा थी, आर्थिक रूप से वही उनकी देखभाल करती थी. अब प्रत्युषा के निधन के बाद वह तंगहाली में आ गए हैं.
आज तक से बातचीत में शंकर बनर्जी ने अपने जीवन का दर्द बयां करते हुए कहा कि अब बात किस पर की जाए, हमारा तो सब कुछ लुट चुका है. उन्होंने कहा कि जिस दिन हमने बेटी को खोया था, उसी दिन हमारा सब कुछ चला गया था. इस हादसे के बाद ऐसा लगता है कि कोई भयंकर तूफान आया हो और हमारा सब कुछ लेकर चला गया हो. केस लड़ते-लड़ते हमने सब कुछ गंवा दिया है. हमारे पास एक रुपया नहीं बचा. कई बार कर्ज तक लेने की नौबत आ गई.
उन्होंने आगे कहा कि प्रत्युषा के अलावा हमारा कोई नहीं था. उसी ने हमें अर्श तक पहुंचाया था और उसके जाने के बाद अब फर्श पर लौट गए हैं. अब एक रूम में रहने को मजबूर हो गए हैं और जिंदगी जैसे-तैसे कट रही है.
जीवन की मुश्किल घड़ी में हिम्मत न हारते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि पैसे की कमी है, लेकिन हम हिम्मत नहीं हारे हैं. वैसे भी एक बाप कभी नहीं हारता है. मैं अपनी बेटी के लिए आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा. उन्होंने न्यायपालिका पर भरोसा जताया और कहा कि मुझे उम्मीद है कि एक दिन मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा और हम जीतेंगे. शंकर बनर्जी ने बताया कि प्रत्युषा की मां चाइल्ड केयर सेंटर में काम कर रही हैं. वहीं मैं कुछ न कुछ कहानियां लिखते-रहते हैं.