संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' की रिलीज में एक महीने का समय है, लेकिन इसको लेकर विवादों की चिंगारी ऐसी सुलगी है कि आगे का रास्ता काफी मुश्किल दिख रहा है.
बहरहाल, फिल्म को लेकर जिस तरह राजस्थान का राजपूत संगठन श्री राजपूत करणी सेना बगावती तेवर अपनाए हुए है, उसको देखते हुए पद्मावती के मेकर्स का चिंतित होना स्वाभाविक है. करणी सेना ने फिल्म का विरोध इसके ऐलान के वक्त से ही शुरू कर दिया था. अब महाराष्ट्र में 'पद्मावती' को बैन करने के लिए राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के युवा मंच पर्यटन मंत्री जय कुमार रावल से मुलाकात करेंगे. उनकी मांग है कि फिल्म को बैन किया जाए.
दिलचस्प ये भी है कि सारा बखेड़ा सिर्फ कयासों की वजह से हो रहा है. कयास कि फिल्म में रानी पद्मावती और सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की प्रेम कहानी दिखाई जाएगी. कयास ये है कि ड्रीम सीक्वेंस में खिलजी और पद्मावती पर प्रेमालाप के सीन होंगे. ये कयास इल्जाम में बदले और जयपुर में लगे फिल्म के सेट पर हंगामा हो गया था. भंसाली इसकी चपेट में आए. उनके साथ हाथापाई हुई.
उसके बाद सेट महाराष्ट्र में शिफ्ट हो गया, हंगामे भी राज्यों की सरहदें पार करके पीछे-पीछे चले आए. वैसे पिछले कुछ सालों में संजय लीला भंसाली की फिल्मों के साथ ये हंगामे चिपक से गये हैं.
बाजीराव मस्तानी विवाद
उनकी पिछली फिल्म बाजीराव-मस्तानी, मराठा योद्धा पेशवा बाजीराव और मस्तानी की लव स्टोरी थी. इस फिल्म के गाने पिंगा को लेकर सबसे पहले विवाद हुआ. कुछ लोगों ने इसे मराठी संस्कृति के खिलाफ बताते हुए अदालत की शरण ली. आपत्ति थी कि काशीबाई के किरदार को मस्तानी के साथ पर्दे पर नाचते हुए कैसे दिखाया जा सकता था, जबकि वो तो आर्थराइटिस से पीड़ित था और ज्यादातर समय बिस्तर पर ही बीता था.