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RIP Ustad ! कैंसर से जंग हार गए पद्मभूषण उस्ताद राशिद खान, कोलकाता के अस्पताल में थे भर्ती - कल होंगे सुपुर्दे ख़ाक

संगीत जगत से बेहद दुःख भरी खबर सामने आई है। मशहूर संगीत सम्राट उस्ताद राशिद खान का कोलकाता के अस्पताल में निधन हो गया है। वे काफी लंबे वक्त से प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे। उनका इलाज कोलकाता स्थित एक अस्पताल में भर्ती थे। वे काफी लम्बे समय से वेंटिलेटर पर थे। दिग्गज संगीतकार के निधन से संगीत जगत को भारी क्षति हुई है। 

वो देश के रामपुर-सहसवन शैली के संगीत घराना के जाने-माने शास्त्रीय संगीतज्ञ उस्ताद थे। कोलकाता के एक अस्पताल में वह जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे थे। डॉक्टरों के मुताबिक संगीतकार उस्ताद राशिद खान प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे। पहले उनका इलाज टाटा कैंसर अस्पताल में चल रहा था। जिसके बाद वो कोलकाता में उनका इलाज चलने लगा था। उस्ताद राशिद खान 55 साल के थे। डॉक्टरों के मुताबिक़ उस्ताद राशिद खान को सेरब्रल अटैक हुआ था। उसके बाद से उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ है। लगातार उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी। 

उस्ताद राशिद खान महान संगीतकार इनायत हुसैन खान के पोते हैं। इनायत हुसैन खान ने ही सहसवन घराने की स्थापना की थी। पद्म पुरस्कार से सम्मानित उस्ताद राशिद खान प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे, जिसके बाद से राशिद खान करीब साहब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। इसी दौरान शुक्रवार को उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ और उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं। वर्ष 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले वर्ष 2006 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। वर्ष 2022 में पद्म भूषण से नवाजा गया। उन्होंने बांग्ला और हिंदी फिल्मों में कई गीत गाए हैं, जो काफी लोकप्रिय हुए। 

उस्ताद राशिद खान ने ‘माई नेम इज खान’, ‘कादम्बरी’, ‘मंटो’ और ‘मितिन माशी’ के लिए गीत गाए हैं। बॉलीवुड फिल्म ‘जब वी मेट’ के लिए उस्ताद के गाए गीत ‘आओगे जब साजना...’ को आज भी लोग काफी पसंद करते हैं। उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे राशिद खान ने महज 11 साल की उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था। मुख्य रूप से शास्त्रीय संगीत के लिए पहचाने जाने वाले राशिद खान के फ्यूजन और फिल्मी गीतों को भी काफी पसंद किया गया। उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले तक बीमारी के बावजूद सुबह चार बजे संगीत के रियाज के उनके रूटीन में कोई बदलाव नहीं आया था। 

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