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क्या नवाज़ुद्दीन को बचाने के चक्कर में ठाणे पुलिस अपने जाल में खुद ही फंस गई है?

वक़ील रिजवान सिद्दिकी की गिरफ्तारी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का कड़ा रुख सामने आया है। ठाणे मजिस्ट्रेट कोर्ट के द्वारा दिए गए पुलिस रिमांड के खिलाफ रिजवान सिद्दीकी की पत्नी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। रिजवान की बीवी ने अपनी याचिका में कहा था की गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने सीआरपीसी 41 a का नोटिस नहीं दिया था। रिज़वान के वक़ील की तरफ़ ये यही दलील कोर्ट में दी गयी थी। हालाँकि पुलिस ने भी अपना पक्ष रखा कहा कि,हमने रिज़वान को नोटिस देने की कोशिश की थी लेकिन उनकी तरफ़ से लिया नहीं गया।

लेकिन अदालत ने पुलिस की सारी दलीलों को दरकिनार कर बेहद कड़ा रुख रखा है। अदालत ने पुलिस से पूछा है कि क्या आप रिजवान सिद्दिकी को छोड़ रहे हैं या फिर हम आपके खिलाफ आर्डर जारी करें। पुलिस ने 01 बजे तक का वक्त माँगा है।

रिजवान की पत्नी तसनीम ने पति की गिरफ्तारी के तरीके को लेकर न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की है।

अपनी याचिका में तसनीम ने दावा किया है कि रिजवान को 14 फरवरी को ठाणे अपराध शाखा यूनिट-1 से गवाह का समन मिला था। लेकिन, 16 मार्च को ठाणे अपराध शाखा के अधिकारी उसके ऑफिस आए और बयान लेते हुए बिना किसी नोटिस के गिरफ्तार कर लिया।

वहीं, सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इस धारा के तहत नोटिस देने की कोशिश की थी। लेकिन, रिजवान ने नोटिस लेने से मना कर दिया, इसलिए उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

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