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बॉलीवुड को अंग्रेजी बीट्स से नवाज़ने वाले संगीतकार ‘पंचम दा’ का ऐसा था सफर

27 जून 1939 को कोलकाता में एक ऐसे शख्स का जन्म होने वाला था. जिसने आगे चलकर हिंदी सिनेमा में गायिकी का रुख ही बदल दिया. उस दिन संगीत की नगरी में जन्म लिया पंचम दा ने, अपने म्यूजिक से भारतीय सिनेमा को समृद्ध करने वाले राहुलदेव बर्मन ने, जिन्होंने सिर्फ 54 साल की उम्र में आज ही के दिन साल 1994 में इस संसार को अलविदा कह दिया था. साथ ही फिल्म इंडस्ट्री में वो खाली जगह छोड़कर चले गए, जिसको भर पाना मुमकिन न था.

बर्मन साहब का जन्म कोलकाता में हुआ था. कहावत तो यहां तक है कि जब पंचम दा रोते थे तो पंचम सुर की ध्वनि सुनाई देती थी, जिसके चलते इन्हें पंचम कह कर पुकारा गया. इन्होने अपने करियर की शुरुआत बतौर सहायक के तौर पर की, सबसे पहले ये अपने पिता के संगीत सहायक बने. पंचम दा के फ़िल्मी करियर की बात की जाए तो इन्होने हिन्दी के अलावा बंगला, तमिल, तेलगु, और मराठी अपने गुणों का जलवा बिखेरा है.

भारतीय सिनेमा में संगीतकार के तौर पर बर्मन साहब की पहली फिल्म साल 1961 में आई ‘छोटे नवाब’ थी. लेकिन इनको सफलता का स्वाद साल 1966 में फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ से लगा. भारतीय सिनेमा को अंग्रेजी बीट्स से भी इसी महान संगीतकार ने नवाज़ा था.

एक दौर था जिसे आरडी बर्मन के दौर से याद किया जाता है. 1960 के दशक से 1990 के  दशक तक इस संगीतकार ने फिल्म इंडस्ट्री के 331 फिल्मों को अपने संगीत से अभिभूत किया था. इन्हें सिर्फ संगीतकार के तौर पर याद करना मुनासिब नही लगता क्यूंकि कई फिल्मों के गानों में इन्होने ने अपनी आवाज़ भी दी थी. ये अपनी आवाज़ के लिए भी उतने ही मशहूर थे जितने संगीत के लिए थे. फिल्म जगत में उन्होंने जयादातर काम अपनी पत्नी आशा भोंसले और किशोर कुमार के साथ किया. उन्हें हमेशा से आने वाली पीढ़ी के संगीतकार के तौर पर याद किया गया. सन 1970 के दशक में पंचम दा, किशोर कुमार और राजेश खन्ना की जोड़ी ने तो जैसे बड़े पर्दे पर हिट गानों की लड़ी लगा दी थी.

साल 1981 में उन्हें ‘सनम तेरी कसम’ के लिए फिल्मफेयर अवार्ड से नवाज़ा गया था. उन्होंने इंडस्ट्री को कई बड़े गायक भी दिए हैं जैसे कि गायक कुमार सानू को पंचम दा ने ही पहला ब्रेक दिया यही नहीं गायक अभिजीत को भी इन्होने ने ही बड़ा ब्रेक दिया.

साल 1980 में वो गायिका आशा भोंसले के साथ शादी के बंधन में बंध गए. इसके पहले से ही ये जोड़ी बड़े पर्दे पर सुपरहिट हो चुकी थी. फिर साल 1994 में भारतीय संगीत के लिए दुखद दिन आया और आज ही के दिन इस संगीतकार ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन लोगों के दिलों में उनका संगीत सदाबहार है.

 

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