31 दिसम्बर 2018 को भारतीय हिंदी सिनेमा ने एक जानदार अदाकार, उससे बढ़कर बहुशाली प्रतिभा के धनी कादर खान के रूप में एक शानदार इंसान को खो दिया. एक एक्टर,लेखक,थिएटर आर्टिस्ट बॉलीवुड में एक जाना माना नाम कादर खान ने अपनी अंतिम सांस कनाडा में ली,वो काफी सालों से बीमार चल रहे थें.
हम उन्हें उनके बड़े पर्दे में निभाए गए किरदारों से हमेशा याद रखेंगे. चाहे वो पॉजिटिव किरदार हो या फिर खलनायक का,या हो कॉमेडियन का, कादर खान एक ऐसी शख्सियत थे जो हर किरदार में जान डाल दिया करते थे.
अपने एक लीडिंग पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कादर खान एक वाकया याद करते हैं. जब दिलीप कुमार ने उनसे उनका नाटक ‘ताश के पत्ते’ देखने की इच्छा जताई थी. कादर खान ने कहा कि “ एक दिन फोन की घंटी बज रही थी. मैंने उठाया तो उधर से आवाज़ आती है कि मैं युसूफ खान बोल रहा हूं. लोग मुझे दिलीप कुमार के नाम से जानते हैं. मेरे हाथ से फोन खिसक गया. मैंने कहा जी, उन्होंने कहा मेरी इच्छा है आपका प्ले देखने की “ताश के पत्ते”. मैंने जवाब दिया कि ये तो मेरे लिए स्वभाग्य की बात होगी”.
कादर खान ने आगे बताया कि मैंने कहा “थिएटर के कुछ नियम होते हैं. आपको जल्दी आना होगा. साथ ही साथ प्ले समाप्त होने के बाद ही जा सकते हैं. फिर उन्होंने जवाब दिया कि मुझे तुम्हारा अंदाज़ पसंद आया”. आगे उन्होंने जो भी कहा अब वो पुराने पन्नों में दर्ज हो चुका है. फिल्म इंडस्ट्री ने अपने कादर को खो दिया है.