दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के ट्रेलर पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इसे दोबारा जनहित याचिका के रूप में दाखिलय किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने कहा कि दिल्ली की फैशन डिजाइनर पूजा महाजन का इस मामले से व्यक्तिगत रूप से कोई संबंध नहीं है और मामले को जनहित याचिका के रूप में दायर करना चाहिए।
वकील अरुण मैत्री के जरिए महाजन द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि ट्रेलर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 416 का उल्लंघन किया है, क्योंकि कानून में जीवित चरित्र या जीवित व्यक्ति का प्रतिरूपण करने की अनुमति नहीं है।
यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर आधारित है।
'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में मनमोहन सिंह के किरदार में अनुपम खेर और संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना हैं। फिल्म शुक्रवार को रिलीज होगी।
वकील मैत्री ने कहा कि फिल्म के निर्माताओं ने कलाकारों के जरिए मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी की जिंदगी, उनके तौर-तरीकों और आवाज को प्रस्तुत करने को लेकर इन तीनों से कोई सहमति नहीं ली।
याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अनुसार, वास्तविक जीवन के चरित्रों पर आधारित फिल्मों के लिए 'अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी)' की आवश्यकता होती है, लेकिन ट्रेलर के लिए ऐसा कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया गया।
याचिका में महाजन ने अदालत से केंद्र, गूगल, यूट्यूब और सीबीएफसी को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था, ताकि ट्रेलर को प्रदर्शित होने से रोकने के लिए कदम उठाया जा सके।