संदीप पाटिल 1983 में मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में भारत की विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे. छत्तीस साल बाद, कबीर खान की स्पोर्ट्स ड्रामा फ़िल्म में उनके बेटे चिराग अपने पिता की ऑनस्क्रीन भूमिका निभाते हुए क्रिकेट के इतिहास को फिर से दोहराते हुए नज़र आएंगे. चिराग लगभग 11 मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं, और वह अब रणवीर सिंह के नेतृत्व में मैदान में उतरने के लिए बेताब हैं.
'मैं वास्तव में उत्साहित हूं, '83' विश्व कप की जीत को भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है और उस टीम का हिस्सा बनना एक सपना सच होने जैसा है और फ़िल्म में मेरे पिता की भूमिका निभाना इस फ़िल्म को ओर अधिक खास बना देता है. मुझे लगता है कि अभी तक किसी भी अभिनेता ने अपने पिता की भूमिका बड़े पर्दे पर नहीं निभाई है, मैं पहला शख्स हूं,'उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा. साथ ही चिराग ने बताया कि जब से उन्होंने फिल्म के बारे में सुना है, यह उनकी मां दीपा का सपना रहा है कि वह इस फ़िल्म में अपने पिता की भूमिका निभाएं. 'सौभाग्य से, मुझे यह किरदार मिल गया.
जूनियर पाटिल ने कभी भी पेशेवर रूप से क्रिकेट नहीं खेला है. वह यह स्वीकार कर रहे हैं कि शुरुआत में वह थोड़ा नर्वस थे, लेकिन एक बार जब उन्होंने अभ्यास करना शुरू किया, तो उनके पिता का रुख और उनके शॉट्स खेलने का तरीका स्वाभाविक रूप से उनके पास आया. 'बल्लू अंकल (बलविंदर संधू) और उनकी टीम अगस्त से हमें प्रशिक्षित कर रही है. मैंने खाली समय में भी चंद्रकांत पंडित की क्रिकेट अकादमी (CPCC) से भी कुछ प्रशिक्षण सत्र लिए है. भारत का सबसे अच्छा क्रिकेट कोच मेरे घर में रहता है और यह सबसे बड़ी मदद है. अभी ध्यान अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने और मेरे पिता की शैली को सही करने पर है और उसके बाद 'सचिन तेंदुलकर ने एक बार मुझसे कहा था, अपना सर्वश्रेष्ठ दो और बाकी भगवान को छोड़ दो. मैं इस बात का पालन करता हूं.
उनके पिता ने बताया कि चिराग के जन्म से यानी 31 साल से वह अपने बेटे को कई कहानियां सुना चुके है और हर बार जब भी हम विश्व कप जीत के बारे में बात करते है तो चिराग की आंखे खुशी से जगमगा उठती हूं पहले मैच से लेकर फाइनल तक और पार्टी के बाद, मैंने उसके साथ इतनी सारी यादें साझा की हैं.,' उन्होंने बताया.'
संदीप ने टूटी पसलियों के साथ विश्व कप खेला था. वेस्टइंडीज के खिलाफ फाइनल में भारत द्वारा केवल तीन छक्के मारे गए थे, जिनमें से एक उनके द्वारा था. उन्होंने भारत के 183 के स्कोर में 29 गेंदों में 27 रन बनाए थे. विंडीज को 140 रन पर आउट कर दिया गया था. इसके तुरंत बाद, विजय सिंह ने उन्हें पूनम ढिल्लों और देबाश्री रॉय के साथ एक हिंदी फिल्म 'कभी अजनबी' में मुख्य भूमिका की पेशकश की थी. फ़िल्म में भारत के विकेटकीपर सैयद किरमानी ने प्रतिपक्षी की भूमिका निभाई थी. शूटिंग की शुरुवात साल 1983 में की गई थी और फिल्म को गगनचुम्बी उम्मीदों के साथ दो साल बाद रिलीज किया गया, और इसका श्रेय संदीप और किरमानी के बीच एक लड़ाई अनुक्रम और हिट गीत 'गीत मेरे होंठों को दे गया कोई' को जाता है. वह उसके बाद से बड़े पर्दे पर नज़र नहीं आये, लेकि उनके पास अपने अभिनेता बेटे के लिए कुछ सुझाव है. 'मौका मिलना और प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्राप्त करना बहुत बड़ी बात है, हर किसी को अवसर नहीं मिलता है और वह भी कबीर खान जैसे निर्देशक और एक बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ. अब, गेंद चिराग के हाथ में है और मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. मैं सेट पर उनसे मिलने नहीं जाऊंगा लेकिन मैंने उन्हें सीखा दिया है कि मेरे सिग्नेचर शॉट्स से किस तरह खेला जाता हैं.
चिराग ने इस तथ्य पर बल दिया कि उन्होंने अपने पिता को कभी खेलते हुए नहीं देखा क्योंकि वह पैदा होने से पहले ही रिटायर हो चुके थे. लेकिन मैंने उनकी बल्लेबाजी, उनके व्यक्तित्व और उनके जीवन के बारे में कहानियां सुनी हैं. वह एक किंवदंती थे. 'उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि उस समय कोई सोशल मीडिया या पीआर नहीं थे लेकिन आज भी वह जहां जाते है चाहे वो भारत हो या विदेश, लोग उनके साथ सेल्फ़ी लेने के लिए उत्सुक रहते है. वह एक सुपर स्टार है.'
फ़िल्म में अपने सहकलाकार के बारे में बात करते हुए चिराग ने कहा,'रणवीर एक बेहद अच्छे इंसान है और मैं उनके साथ काम करने के लिए बहुत उत्साहित हूं. उनकी कड़ी मेहनत, विनम्रता, ऊर्जा और समर्पण से मुझे बहुत कुछ सीखना है. वह मैदान पर सबसे पहले आते है और अंत में जाते है. अभिनेताओं की टोली में कई प्रतिभाशाली कलाकार है और उनके साथ शूटिंग करने में मज़ा आएगा और कबीर हर अभिनेता को कंफर्टेबल फील करवाते है. देश के लिए एक बार फिर विश्व कप उठाने में मज़ा आएगा.'
फ़िल्म में जहां रणवीर सिंह मुख्य भूमिका निभाएंगे, वहीं फिल्म में एक मजबूत सपोर्ट कास्टिंग देखने मिलेगी और जल्द ही अन्य क्रिकेट खिलाड़ियों की कास्टिंग की घोषणा की जाएगी. इस यादगार जीत को बड़े पर्दे पर देखने के लिए दर्शक ख़ासा उत्साहित है. इससे पहले, निर्माताओं ने 83 में विश्व कप उठाने वाली पूरी पूर्व टीम के साथ फिल्म की घोषणा करते हुए एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी.
कबीर खान द्वारा निर्देशित, स्पोर्ट्स फिल्म में भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण जीत में से एक दर्शकों के सामने पेश की जाएगी. फिल्म को वास्तविक स्थानों पर फिल्माया जाएगा और अगले साल की शुरुआत में फ़िल्म की शूटिंग शुरू की जाएगी. कप्तान कपिल देव के नेतृत्व में, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप की पहली जीत दिलाई थी, 1983 का विश्व कप क्रिकेट प्रेमियों के दिमाग में छपी एक गहरी छाप की है.
रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत और मधु मंटेना द्वारा निर्मित, विष्णु इंदुरी और कबीर खान की फ़िल्म 10 अप्रैल 2020 में रिलीज़ होगी.