फिल्म निर्माता-निर्देशक करण जौहर के लिए खुशखबरी है. करण जौहर बहुत समय से अपने प्रोडक्शन हाउस धर्मा प्रोडक्शन को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे मगर अब हाई कोर्ट ने निर्देशक के पक्ष में फैसला सुनाया है.
हाई कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा दायर एक अपील को खारिज कर दिया, जिसने प्रोडक्शन हाउस को खर्च के रूप में 7 करोड़ रुपये का दावा करने की अनुमति दी थी. करण जौहर ने केस जीत लिया था, लेकिन अगर मामला आयकर विभाग के पक्ष में चला होता, धर्मा को राशि का भुगतान करना होता.
ये दोनों मामले 2005-2006 ‘काल’ के लिए और 2008-2009 ‘दोस्ताना’ के लिए थे. करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस ने ‘काल’ के लिए सकारात्मक प्रिंट के विज्ञापन के रूप में 2.67 करोड़ और साथ ही उनके पास 4.46 करोड़ रुपये का खर्चा आया था, जो उन्होंने ‘दोस्ताना’ के लिए विज्ञापन खर्च के रूप में दावा किया गया था.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी और सारंग कोतवाल की डिवीजन बेंच ने विभाग द्वारा दायर अपील को अंततः खारिज कर दिया है. खबर में बताया गया है कि पीठ ने देखा कि भले ही विभाग सही था कि प्रोडक्शन की लागत के रूप में खर्च का दावा नहीं किया जा सकता है, आयकर के एक अन्य खंड ने उन खर्चों को व्यापार खर्च के रूप में दावा करने की अनुमति दी. इसलिए, संचयी प्रभाव यह था कि प्रोडक्शन हाउस खर्च के रूप में राशि का दावा कर सकते थे और उसी पर टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है.