इस महीने की शुरुआत में जब 'सांड की आंख' का पहला लुक जारी किया गया था, तो देश की सबसे उम्रदराज महिला शार्पशूटर, 60 साल की चंद्रो और प्रकाशी तोमर का किरदार निभाने के लिए नेटिजन्स ने 31 साल की तापसी पन्नू और 29 साल की भूमि पेडनेकर को फिल्म में लेने के लिए काफी क्रिटिसाइज किया था. ऐसे में इस बात का विरोध भी किया गया कि अनुराग कश्यप-प्रोडक्शन को कहानी पर कायम रहना चाहिए और उम्र के उपयुक्त अभिनेताओं को कास्ट करना चाहिए.
आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए सह-निर्माता निधि परमार ने दावा है कि इस भूमिका में टीम ने छोटी उम्र की एक्ट्रेस को कास्ट करने से पहले लगभग 15 सीनियर एक्ट्रेस को अपरोच किया था. "हमने 55 से 60 की आयु वर्ग की एक्ट्रेस से संपर्क किया था क्योंकि हमें लगा कि चित्रण ज्यादा कन्विंसिंग होंगे. हालांकि अधिकांश ने भूमिका को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वो अनग्लैमरस अवतार में नहीं दिखना चाहती थी, या फिजिकल प्रिपरेशन के लिए नहीं तैयार थी, जो कैरेक्टर की डिमांड थी." उन्होंने बिना उन एक्ट्रेस का नाम बताए कहा, "यहां तक कि यंग एक्ट्रेस की भी यही चिंता थी. भूमि और तापसी ने ये भूमिका निभाने में बहुत कुछ दिखाया है जो उनकी वास्तविक उम्र से लगभग दोगुना है."
इस फिल्म में अपने कैरेक्टर को लेकर तापसी पन्नू का कहना है, "मैंने 30 साल की उम्र के बाद एक कॉलेज के बच्चे की भूमिका निभाई है और फिर किसी ने भी मुझसे सवाल नहीं किया. एक मुद्दा बनाने के बजाय लोगों को आश्चर्य होना चाहिए कि हमने इन भूमिकाओं को उठाया क्योंकि ऐसे कुछ अभिनेता हैं जो स्क्रीन पर उम्र बढ़ने का जोखिम लेते हैं."
वहीं भूमि पेडनेकर ने भावना व्यक्त करते हुए कहा कि कलाकारों के लिए कोई भी हिस्सा ऑफ-लिमिट नहीं होना चाहिए. "अतीत में, लोगों ने अपनी उम्र से अधिक उम्र के पात्रों को सफलतापूर्वक निभाया है. मदर इंडिया में अनुपम खेर (1984) और नरगिस जी (1957) महान उदाहरण हैं. अगर हम अपनी उम्र से कम उम्र के किरदार निभा सकते हैं, तो हम उम्र से बड़े किरदार क्यों नही प्ले कर सकते.