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भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के से जुड़ी जानिए खास बातें

भारतीय सिनेमा के जन्मदाता कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के 149वां जन्मदिन है. बता दें कि 30 अप्रैल 1870 को त्रयंबक महाराष्ट्र में जन्मे दादा साहब ने साल 1913 में अपने हाथों से भारतीय सिनेमा की नीव रखी थी. बता दें कि उस साल उन्होंने राजा हरिश्चंद्र नाम की एक फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई थी, जो की एक साइलेंट फिल्म थी.

चलिए आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर उनसे जुडी खास बातें हैं:

दादा साहब फाल्के ने केवल 15 साल की उम्र में मशहूर मुंबई के जे.जे स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में दाखिला लिया. जिसके बाद उन्होंने महाराजा सायाजीराव यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर चित्रकला के साथ फोटोग्राफी और स्थापत्य कला की भी अलग अलग शिक्षा ली.

भारत की पहली साइलेंट फिल्म 'राजा हरिश्चंन्द्र' बनाने के बाद दादासाहब ने दो और ‘भस्मासुर मोहिनी’ और ‘सावित्री’ फ़िल्में बनाई थी.

अपनी पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंन्द्र' के लिए उन्होंने अपनी अपत्नी से कर्ज़ लिया था और इस तरह से उनकी इस फिल्म का बजट तब 15 हजार रुपये था.

कोल्हापुर नरेश के आग्रह पर 1938 में दादासाहब ने अपनी पहली और अंतिम बोलती फ़िल्म ‘गंगावतरण’ बनाई थी.

फिल्मों से दादासाहब का जुड़ाव दिल से था, ऐसे में देश आज़ाद होने के कुछ साल पहले साल 1944 में वह एक फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन तब आलम कुछ ऐसा था कि फ़िल्म बनाने के लिए फ़िल्मकारों को लाइसेंस लेना पड़ता था.

लाइसेंस पाने के लिए दादासाहब ने अंग्रेज़ी सरकार को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन 14 फ़रवरी 1944 को जवाब के रूप में उन्हें ना सुनने मिला. यह खबर दादासाहब के लिए सदमे से कम नहीं थी और इस तरह से भारतीय सिनेमा के जन्मदाता का केवल दो दिनों के भीतर ही निधन हो गया.

आज भारत में दादासाहब की याद में भारत सरकार ने उनकी 25 वीं पुण्यतिथि पर यानी साल 1969 में उनके नाम पर फाल्के अवॉर्ड शुरू किया.

‘दादासाहेब फाल्के अकादमी’ के द्वारा भी दादासाहेब फाल्के के नाम पर तीन पुरस्कार भी दिए जाते हैं, जो हैं – फाल्के रत्न अवार्ड, फाल्के कल्पतरु अवार्ड और दादासाहेब फाल्के अकेडमी अवार्ड्स.

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