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Movie Review 'द लायन किंग' : आवाज में भी दिखी शाहरुख-आर्यन खान की पर्सनल केमिस्ट्री, यह फिल्म किसी भी तरीके से डब नहीं लगती

बेहतरीन एनिमेशन और उम्दा VFX से भरपूर 'द लायन किंग' ने बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दे दी है. यह फिल्म भले ही आपको बच्चों वाली लगे मगर बच्चों के साथ जब आप थिएटर में पहुंचेंगे तो आप भी बच्चों की तरह ही इसे एन्जॉय करेंगे. 'द लायन किंग' एक पिता और उसके बेटे के बीच की खूबसूरत कहानी है. इस फिल्म को देखने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि इसके हिंदी वर्जन में आपको बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान, आशीष विद्यार्थी, असरानी, श्रेयस तलपड़े, संजय मिश्रा, शेरनाज पटेल और अचिंत कौर जैसे मंझे हुए कलाकारों की आवाज भी सुनाई देगी. इन्हीं आवाजों में से एक मुख्य किरदार सिम्बा की आवाज बने हैं शाहरुख एक बेटे आर्यन खान भी.

पहली बार 1994 में आई यह एनिमेटेड म्यूजिकल ड्रामा फिल्म नब्बे के दशक के बच्चों की फेवरेट रही है. अब निर्माता-निर्देशक जॉन फेवरो इसे हाई क्वॉलिटी तकनीक के साथ दोबारा लेकर आए हैं. भारत में यह फिल्म इंग्लिश के अलावा हिंदी, तमिल और तेलुगु में भी रिलीज हो रही है.  

फिल्म में हर किरदार को मानों इन स्टार्स की आवाज को ध्यान में रखके ही बनाया गया है. फिल्म की शुरुआत होती है शाहरुख के किरदार मुफासा से जो फिल्म के शुरुआत में ही मर जाता है मगर, उसकी आवाजअपने बेटे सिम्बा के साथ हमेशा रहती है. विलन स्कार जिसे आवाज दी है आशीष विद्यार्थी ने, किंग मुफासा की गद्दी छीनना चाहता है और वो कुछ ऐसा खेल खेलता है जिसके अंत में मुफासा की मौत हो जाती है और इस घटना को स्कार इस तरह सिम्बा के सामने रखता है कि बेटे सिम्बा को लगता है कि उसके पिता का देहांत उसके वजह से हुआ है. छोटा सा लायन बेबी यह बर्दाश्त नहीं कर पाता और भाग जाता हैं. फिल्म के हिंदी वर्जन का सबसे बड़ा आकर्षण है, मुफासा और सिंबा के रूप में रियल पिता-पुत्र जोड़ी सुपरस्टार शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन खान की आवाज, जो उनकी पर्सनल केमिस्ट्री को भी ऑनस्क्रीन बहुत ही खूबसूरती से पेश हुई है. कहीं कहीं आर्यन की आवाज शाहरुख जैसी लगती है मगर उनकी तुलना में अभी आर्यन की आवाज थोड़ी पतली है. एक्टिंग डेब्यू से पहले डबिंग डेब्यू करना, यह आर्यन और शाहरुख का सबसे अच्छा फैसला था. क्यूंकि आज भी लोग डबिंग को एक्टर की ज़िन्दगी का बहुत बड़ा हिस्सा मानते हैं. कहा जाता है कि एक्टिंग आप कर सकते यहीं मगर डबिंग आपको परफेक्ट बनती है.

इसके बाद सही और सटीक जगहों पर एंट्री होती है फिल्म से जुड़े अन्य किरदारों की. फिल्म को लाइट जोक्स और एंटरटेनमेंट का तड़का देने एक लिए संजय मिश्रा और श्रेयस तलपड़े ने भी बहुत अच्छा काम किया है,  स्कार के रूप में आशीष विद्यार्थी परफेक्ट हैं, तो कठफोड़वे जाजू के तौर पर असरानी ने भी लोगों के मनोरंजन का ध्यान रखा है. संजय मिश्रा ने अपने कैरेक्टर को बिहारी भाषा में लोगों के सामने पेश किया और इनके साथ लोगों को हंसाने का जिम्मा उठाया श्रेयस ने जो टीमॉन का किरदार निभा रहे थे. इनका बोलने का स्टाइल 'गली बॉय' के किसी रैपर की याद दिलाता है. यह दोनों ही किरदार आपको खूब हंसाएंगे. कुल मिलाकर हर कैरेक्टर और उसकी आवाज इमोशन्स से भरी हुई है जो आपको सीट से बांधे रखेगी. लाइट मोमेंट और एक्शन सीन्स में बच्चे तालिया भी बजाते हुए दिखाई देंगे.

२ घंटे से भी छोटी इस फिल्म को आप इंटरवल के बिना भी देख सकते हैं. फिल्म के म्युज़िक की बात की जाए तो अरमान मालिक और सुनिधि चौहान की आवाज भी कहानी में गानों के माध्यम से ब्लेंड हो जाती है. बैकग्राउंड स्कोर और गाना 'हकूना मटाटा' भी काफी इम्प्रेसिव है. 'सबकुछ एक तरह और यह बात एक तरफ कि, 'द लायन किंग' किसी भी तरीके से डब नहीं लगती, यह एक ओरिजिनल फिल्म का फील देती है और इसका श्रेय इस फिल्म से जुड़े हर इंसान को जाता है.

पीपिंग मून 'द लायन किंग को 4 मून्स देता है.

(Source: Peepingmoon)

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