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Exclusive: #HappyBirthday शब्दों के जादूगर और अभिनय के धनी ऐसा है मनोज कुमार का निजी जीवन

24 जुलाई फिल्म इंडस्ट्री के 'भारत कुमार' यानि मनोज कुमार अपना 82वां जन्मदिन मन रहे है. 'बॉलीवुड भास्कर' की तरफ से मैंने ख़ास तौर से उनके घर पर जाकर इस दिन होने वाले सेलिब्रेशन के बारे में जानने की कोशिश की . दरअसल, यह इंटरव्यू 2016 का है, जिसे उनके जन्मदिन पर जारी किया जा रहा है. 

जब मैं 'मनोज कुमार' साहब के मुंबई में स्थित 'जुहू' के घर पर पहुंच तो घर में उनकी पत्नी 'शशि गोस्वामी' जी वहां कार्यरत लोगों के साथ तैयारी में जुटी हुई थी, मेरे आने से कुछ देर पहले ही 'मनोज कुमार' साहब के कुछ ख़ास दोस्त 'शिरडी' से प्रसाद लेकर आये थे और पूजा वगैरह भी घर में की गयी. घर के हॉल के एक कोने में मनोज साहब की 'व्हील चेयर' और दीवारों पर उनकी अलग अलग फिल्मों और पर्सनल लाइफ की तस्वीरें भी लगी हुयी थी. 

थोड़ी देर इंतजार के बाद मैंने मनोज कुमार साब से मुलाक़ात की. बिस्तर पर 'थ्री पीस' सूट पहनकर लेते हुए मनोज कुमार साहब माथे पर टीका लगाए हुए आराम कर रहे थे, लेकिन एक बार फिर से एक ही बात मुझे परेशान कर रही थी और वो थी मनोज कुमार साब की उंगलियों में सजी 'सिगरेट', जिसने अभी तक उनका पीछा नहीं छोड़ा. 79 वर्ष के हो चुके मनोज कुमार साब ने हाथ मिलाकर मेरा अभिवादन किया, मैंने उन्हें विश किया और साथ ही उसी क्षण मशहूर राइटर सलीम खान (सलमान खान) का फ़ोन आया और उन्होंने भी मनोज कुमार साब को फ़ोन पर बर्थडे विश किया. 

मनोज कुमार साहब ने मुझे शिरडी से आया हुआ प्रसाद और 'काजू कतली' खिलाई, फिर बातचीत के दौरान उन्होंने आजकल के गीतों के प्रति अपनी राय रखी. उन्होंने कहा - 'आजकल तो यार पता ही नहीं चलता की गीत कौन सा है, और सिंगर कौन है ? पहले के गीत आज भी याद रहते हैं और दिल में घर कर जाते हैं.'

थोड़ी देर बाद जब कुमार साब को मैंने बताया कि मैं वाराणसी का रहने वाला हूं तो उन्होंने कहा -' वाराणसी से हमारा बड़ा ताल्लुक है, हमारे पूर्वज वहीं के रहने वाले थे, और मुझे लगता है वाराणसी का नाम 'श्री शिव काशी' या 'शिव की काशी' होना चाहिए, हमने प्रधानमंत्री साब को भी ये बात लिखकर भेजी है, वाराणसी के घाट काफी प्रचलित हैं. बहुत पहले वहां जाना हुआ था.' 

मैंने दिल्ली में 'दादा साहेब फाल्के' पुरस्कार लेने के दौरान जब मनोज कुमार साब के द्वारा राष्ट्रपति के पैर छुए जाने के बारे में पूछा,तो उन्होंने कहा -' ये सब हमारे संस्कार हैं जो हमने माँ बाप से सीखे हैं.'

वहीं जब फिल्म डायरेक्ट करने की बात की गयी तो उन्होंने कहा - ' मैं एक दिलचस्प स्क्रिप्ट 'आर्यभट्ट' पर काम कर रहा हूं, काफी अच्छी कहानी है और जल्द ही डायरेक्टर के तौर पर वापसी करूंगा. यह कहानी मशहूर वैज्ञानिक 'आर्यभट' के जीवन से प्रेरित है जिन्होंने हमें शून्य की महत्ता बतायी.'

जब मैंने उन्हें ये बताया कि मेरा गीतों के प्रति काफी रुझान है तब मनोज कुमार साब ने  कहा -' मेरे पास भी कई सारे गीतों के मुखड़े रखे हुए हैं, कभी फुर्सत में आना तो मिल बैठ कर शेयर करेंगे.' 

वैसे तो इस दिन मीडिया की तरफ से कोई इंटरव्यू का कार्यक्रम नहीं रखा गया था, और यही कारण है कि बस यूं ही कुछ बातचीत करने के बाद एक बार फिर से मैंने मनोज कुमार साब को प्रणाम किया, जन्मदिन की शुभकामनायें दी, और फिर उनके घर से वापस चला आया. सबसे अच्छी बात ये लगी की मनोज कुमार साब को कई सारी बातें हमेशा की तरह याद रहती हैं, शब्दों के जादूगर हैं, साफ़ साफ़ हिंदी और उर्दू के शब्दों का प्रयोग करते हैं, उनके ललाट पर एक अलग चमक दिखाई देती है, लेकिन सिर्फ दो बातों ने मुझे काफी परेशान किया , पहली बात उनके हाथों में सिगरेट और दूसरी बात इस उम्र में उन्हें होने वाली पीड़ा. मुझसे बातचीत के दौरान भी उन्होंने वहां काम करने वाले लड़के से कहा कि पानी गर्म करके ले आओ, काफी दर्द हो रहा है. बिस्तर पर सूट पहने हुए तथा पूरी तरह से लेटे हुए मनोज कुमार साब को देखकर यही लगता है कि हरेक इंसान की उम्र में ये समय आता ही आता है.

वैसे आज बिस्तर पर लेटे हुए होने की वजह से मनोज कुमार साब ने तस्वीर खींचने से मना कर दिया, लेकिन हम आपसे उनकी गत वर्षों में खींच गयी फोटोज जरूर शेयर करते हैं.

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