अभिनेता अक्षय कुमार माहवारी और महिलाओं की स्वच्छता जैसे विषयों को अपनी फिल्मों में दिखा चुके हैं और अब उनका प्रयास समाज में मौजूद लैंगिक रूढ़ियों को खत्म करने की है। और लैंगिक समानता की जरूरत पर जोर देने के लिए उन्होंने असल जिंदगी के कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं। शुक्रवार को यहां अपनी आगामी फिल्म 'मिशन मंगल' के प्रमोश्नल इवेंट में अक्षय कुमार ने कहा, "एक महिला जो अपने घर के हिसाब का ध्यान रखती है और देश के वित्त का भी प्रबंध करती है। पहले वह देश के रक्षा मंत्रालय में थीं। बदलाव आ रहा है।"
वे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बात कर रहे थे, जिन्होंने अब तक पुरुष प्रधान रही सरकार में प्रमुख पदों पर काम किया है।
इसी तरह से अक्षय की आगामी फिल्म 'मिशन मंगल' में भी उन पांच महिला वैज्ञानिकों के बारे में दिखाया गया है जिन्होंने मंगल पर उपग्रह भेजने के लिए जी तोड़ मेहनत की। फिल्म में विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हारी और नित्या मेनन इन महिला वैज्ञानिकों के किरदार को निभाती दिखेंगी।
हालांकि अक्षय इसे एक 'महिला केंद्रित फिल्म' मानने को तैयार नहीं है। अक्षय का कहना है, "जब कोई इसे महिला क्रेन्द्रित फिल्म कहता है तब मैं चिढ़ जाता हूं। महिला क्रेन्द्रित फिल्म से आपका क्या मतलब है? अगर हम सब बराबर है तो महिला केंद्रित या पुरूष केंद्रित जैसी कोई चीज होनी ही नहीं चाहिए, यह बस एक फिल्म है।"
इस मौके पर अक्षय ने बच्चों को समान अवसर प्रदान करने की जरूरत पर भी बात की।
अक्षय ने कहा, "बचपन से मैं देखता आ रहा हूं कि जब कोई बच्ची वैज्ञानिक या इंजीनियर बनना चाहती है तो उसके माता-पिता उसे यह कहकर हतोत्साहित करते हैं कि ये पुरूष-प्रधान पेशे हैं। उन्हें डॉक्टर या नर्स बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हमारे इतिहास की किताबों में भी महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों के बारे में अधिक बताया गया है। मुझे लगता है कि इसे बदलने का वक्त अब आ चुका है और इसकी शुरुआत हो चुकी है।"
जगन शक्ति द्वारा निर्देशित फिल्म 'मिशन मंगल' 15 अगस्त को रिलीज हो रही है।