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इस बारे में बात कर अक्सर भावुक हो जाते हैं सनी देओल

बॉलीवुड स्टार सनी देओल के निर्देशन में बनी करण देओल और सहर बंबा स्टारर 'पल पल दिल के पास' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. बता दें कि 'पल पल दिल के पास' यह टाइटल करण के दादा धर्मेंद्र की 1973 में आई 'ब्लैकमेल' फिल्म से लिया गया है. ऐसे में सनी देओल ने मीडिया से बात करते हुए फिल्म के प्रमोशन के दौरान कहा है जनता के सामने रोने का मतलब मजबूत या कमजोर होना नहीं होता.

सनी देओल ने अपनी ऑन-स्क्रीन छवि के बारे में बात करते हुए कहा, "हम अपने परिवार से काफी जुड़े हुए हैं. इसके बारे में बात करते हुए मैं काफी भावुक हो जाता हूं. इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता. हम वैसे ही हैं. आदमी एक आदमी होता है. आपको एक छवि में जीने की जरूरत नहीं होती.''

(यह भी पढ़ें: सनी देओल और करण देओल के रिश्ते को 'पल पल दिल के पास' फिल्म ने इस तरह दी है मजबूती)

एक्टर आगे कहते हैं कि "लोग कहते हैं कि आदमी रोते नहीं। रोने का मतलब मजबूत या कमजोर होना नहीं है. यह भावनाओं का निकलना है. इसे क्यों रोकना?'' 

हालांकि, आगे रोमांटिक फिल्मों के बारे में बात करते हुए सनी ने कहा, "35-40 की उम्र के बाद एक यंग लड़के का किरदार निभाना बेवकूफी है. युवाओं से ऐसे किरदार निकालना आसान होता है. हर कोई प्रेम कहानियां पसंद करता है. मैं प्रेम कहानियां पसंद करता हूं. ‘प्यार मेरा नशा है' यह सोशल मीडिया पर मेरा कैप्शन है.'' 

(Source: Prabhat Khabar)

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