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Birthday Special: स्टारडम को छोड़ ओशो के आश्रम में संन्यासी बन गए थे विनोद खन्ना, जानिए और भी दिचलस्प किस्से

बॉलीवुड स्टार विनोद खन्ना आज भले ही हमारे बीच जिन्दा नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्में आज भी हमें उनके होने का एहसास दिलाती हैं. आपको बता दें कि फिल्मों में बतौर विलन अपनी शुरुआत करने वाले एक्टर ने साल 2017 में लंबी बीमारी के चलते अंतिम सांस ली. ऐसे में एक के बाद एक फिल्मों को कर अपने समय के हैंडसम हीरो की लिस्ट में शामिल हो गए विनोद खन्ना के जीवन से जुड़ी चलिए बतातें हैं खास बातें.

डेब्यू फिल्म 'मन का मीत' करने के बाद विनोद खन्ना ने एक हफ्ते में करीब 15 फिल्में साइन की थी.

अपने करियर में 150 से ज्यादा फिल्में कर चुके विनोद खन्ना ने करियर के सबसे अच्छे दौर में ही फिल्म इंडस्ट्री छोड़, ओशो से प्रभावित होकर साल 1975 में संन्यास लेने का ऐलान कर दिया था.

कहा जाता है कि एक्टर द्वारा स्टारडम को छोड़ने के बाद अमेरिका में ओशो के आश्रम में माली का काम करने के साथ-साथ टॉयलेट तक भी साफ किया था. बता दें कि इनके इस सन्यास के कारण इनका करियर ही नहीं बल्कि परिवार भी उनसे दूर हो गया था.

अपने करियर के 10 से अधिक महत्वपूर्ण साल ओशो के आश्रम में बिताने के बाद एक्टर ने साल 1987 में फिर फिल्मों में वापसी करने के लिए इंडस्ट्री की तरफ अपना रुख किया.

अपने कमबैक के बाद एक्टर ने एक के बाद 'इंसाफ' और 'सत्यमेव जयते' जैसी दो हिट फिल्में दी. कहा यह भी जाता है कि उन दिनों  विनोद खन्ना और अमृता सिंह ने पहली बार साथ फिल्म में काम किया था और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे. हालांकि, यह रिश्ता अमृति की मां के कारण उन्हें बीच में ही खत्म करना पड़ा था.

बिताते समय के साथ विनोद खन्ना ने कई हिट फिल्में की, साथ ही उन्होंने राजनीति में भी अपना जादू दिखाया, जिसका सबसे बड़ा सबूत पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा सीट से उनका चार बार सांसद चुने जाना है. 

विनोद खन्ना को आखिरी बार सलमान खान की 'दबंग' सीरीज वाली फिल्मों में उनके पिता के किरदार में देखा गया है. 

(Source: Peepingmoon)

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