जनवरी में, रितिक रोशन ने सोशल मीडिया पर खुलासा किया था कि उनके फिल्म निर्माता, पिता राकेश रोशन को शुरुआती स्टेज स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (गले के कैंसर) का पता चला है और उन्हें इसके लिए सर्जरी करनी पड़ेगी. नौ महीने के बाद अब राकेश कैंसर से अपनी लड़ाई के बारे में खुलकर बात कर रहे हैं.
राकेश ने मिड-डे को बताया कि यह पिछले सितंबर में शुरू हुआ था जब उन्होंने अपनी जीभ के नीचे छाला नजर आया जो ठीक नहीं हो रहा था . राकेश ने बताया कि उनका पहला विचार था कि "मुझे आशा है कि यह कैंसर नहीं है." बता दें कि रोशन परिवार को 2014 में भी कैंसर का सामना करना पड़ा था जब उनकी बेटी सुनैना ने कैंसर को हराया था . "मैं तुरंत अपने परिवार के डॉक्टर को घर बुलाया. उन्होंने कहा कि यह चिंता की कोई बात नहीं है और मुझे छाले का इलाज करने के लिए कुछ दवाएं दीं," राकेश ने कहा. तीन महीने तक हमने ये सब कुछ भुला दिया था और फिर मैं एक दिन अपने दोस्त से मिलने हिंदुजा हॉस्पिटल गया. "एक लार्क पर मैं ईएनटी विशेषज्ञ के पास गया. उन्होंने जाते ही मुझे बायोप्सी करवाने के लिए कहा. मैंने घर आकर अपने परिवार को बताया कि हालांकि चार दिनों में रिपोर्ट आएगी पर मुझे 100 प्रतिशत यकीन है कि मुझे कैंसर है."
राकेश ने बताया कि इस इलाज एक दौरान वो कुछ ऐसे डॉक्टर्स से भी मिले जिन्होंने उन्हें डरा दिया था. इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "उन्होंने दर्दनाक प्रक्रियाओं का वर्णन किया जिसमें शामिल थे, मेरी जीभ को काटना और मेरी जीभ पर सतह को बदलने के लिए मेरी कलाई से त्वचा का हिस्सा लेना. शुक्र है, रितिक डॉ. जतिन पी शाह के संपर्क में आए जो स्लोन-केटरिंग कैंसर सेंटर में डॉक्टर हैं. उन्होंने हमें बताया कि इस प्रकार का ऑपेरशन करने की कोई आवश्यकता नहीं है. वह उस नॉड को हटाने के लिए गर्दन पर एक चीरा लगाएंगे जहां कैंसर फैल गया था"
"मैं अगले दिन दफ्तर गया," वह हंसते हुए कहते हैं कि उन्होंने शारीरिक थकावट से पराजित नहीं होने का संकल्प लिया था, जो कि कीमियोथेरेपी के बाद शुरू होना था. "मुझे केमो के तीन राउंड करने थे जो 45 दिनों में पूरा होना था. मैं शारीरिक रूप से कमजोर हो गया था और अक्सर कमजोर महसूस करता था, लेकिन मैंने मानसिक रूप से मजबूत रहने की कोशिश की. मैं ऑफिस जाता था क्योंकि मुझे लगा कि सारा दिन बिस्तर पर पड़ा रहूंगा तो नकारात्मक विचार ज्यादा आएंगे. कुछ दिन ऐसे थे जब मैं कीमो की वजह से परेशान हो जाता था या मूड बदल जाता था. तब भी, मैंने खुद से कहा कि यह रिकवरी का एक हिस्सा है.”
कीमो के शुरू होने के छह महीने बाद 20 मार्च को रोशन ने अपना इलाज पूरा किया. उन्होंने आगे कहा, "क्योंकि यह गले का कैंसर था, इसलिए सर्जरी के बाद पानी पीना मुश्किल था. कैंसर शब्द डरावना लगता है, लेकिन यह है नहीं, इसका इलाज किया जा सकता है. मुझे पता था कि अगर मैंने नकारात्मकता को अपने पास लाया, तो इससे मुझे उभरने में मदद नहीं मिलेगी. इसलिए, मैंने कभी खुद को उम्मीद नहीं खोने दी"
राकेश ने बताया कि उनका परिवार उनकी चट्टान थी, बेटी सुनैना उनकी प्रेरणा स्रोत रही. "मुझे उससे मेरी ताकत मिली. मुझे याद था कि वह कितना पॉजिटिव रहती थी, भले ही वह किसी भी सर्जरी से से गुजर रही थी और अपने बालों को खो रही थी. एक परिवार के रूप में, हम बहुत अधिक आघात से गुजरे हैं. सुनैना ने कैंसर से लड़ाई की, रितिक ब्रेन सर्जरी से गुजरा. मुझे एक बार गोली लग गई थी जिस वजह से मुझे बाईपास करवाना पड़ा था, मेरी पत्नी पिंकी को दिल की बीमारी थी, लेकिन हम एक-दूसरे का समर्थन करते हुए लंबे और मजबूत खड़े रहे हैं."
(Source: Mid Day, Viral Bhayani)