परेश रावल ने हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को लेकर चल रहे विवाद पर अपने विचारों को साझा करने के लिए अपने ट्विटर हैंडल पर कुछ पोस्ट डाले. एक मुस्लिम विद्वान को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) के साहित्य विभाग में एक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है. इसपर कुछ छात्रों द्वारा यह कहते हुए विरोध किया है कि वह हमारे धर्म से संबंधित नहीं है और इसलिए, वह छात्रों को समझा नहीं पाएंगे. अब, परेश रावल ने इस विवाद पर अपने विचार साझा किए हैं और कहा है कि अगर धर्म का भाषा से कोई लेना-देना है तो मोहम्मद रफ़ी जी को कोई भजन नहीं गाना चाहिए था.
अपने पहले ट्वीट में, उन्होंने लिखा, "प्रोफेसर फ़िरोज़ खान के विरोध से स्तब्ध! धर्म को किस भाषा में करना है? - धर्म?!? प्रोफेसर फ़िरोज़ ने संस्कृत में पीएचडी की है!! यह मूर्खता है!" उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, "इसी तर्क से महान गायक स्वर्गीय श्री मोहम्मद रफ़ी जी को कोई भजन नहीं गाना चाहिए था और नौशाद साब को इसे कंपोज़ भी नहीं करना चाहिए था.!!!"
Stunned by the protest against professor Feroz Khan !what language has to do with Religion!?!?!? Irony is professor Feroz has done his masters and PhD in Sanskrit !!! For Heavens sake stop this god damn idiocy !
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) November 19, 2019
By same logic great singer late Shri Mohammad Rafi ji should not have sung any BHAJANS and Naushad Saab should not have composed it !!!!
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) November 19, 2019
बता दें कि मोहम्मद रफ़ी और नौशाद साब ने "बैजू बावरा" (1952) के "मन तरपत हरि दर्शन कोई आज" और "कोहिनूर" (1960) में "मधुबन में राधिका नाचे रे" सहित कई भक्ति गीतों को संगीतबद्ध किया.
खैर, छात्र और शोध टीम फिरोज खान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रख रहे हैं. कथित तौर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अधिकारी फिरोज खान को संस्कृत के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने के अपने फैसले पर काफी दृढ़ हैं. यह पहली बार नहीं है कि परेश रावल ने सार्वजनिक रूप से विवादों और राष्ट्र को प्रभावित करने वाले मामलों के बारे में बात की है. एक राजनेता होने के नाते, उन्होंने अक्सर समाज में क्या गलत हो रहा है, इस पर अपने विचार साझा किए हैं.
(Source : twitter)