मेघना गुलजार की फिल्म 'राजी' को भी नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता अगर फिल्म के क्लाइमैक्स को वह बुक में लिखे क्लाइमैक्स की तरह शूट करती. यह बात 'कॉलिंग सहमत' के लेखक हरिंदर सिक्का का कहना है.
एक इवेंट पर हरिंदर ने कहा, 'सिक्का ने एक बातचीत में कहा, "किताब में कहानी वहां खत्म होती है, जहां सहमत तिरंगे को सलाम करती है. अगर फिल्म में भी यह एंड होता तो इसे नेशनल अवॉर्ड मिल सकता था. मैंने डायरेक्टर (मेघना गुलजार) से कहा था कि तुम तिरंगे वाला सीन काटकर फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिलने से रोक रही हो. हालांकि, इसे फिल्ममेकर्स की मर्जी से हटाया गया था. लेकिन मैं अभी भी इसे लेकर नाराज हूं.' फिल्म 11 मई 2018 को रिलीज हुई थी.
हरिंदर सिक्का की मानें तो 'सहमत कॉलिंग' की पांच लाख कॉपी बिकी थीं. यह उनकी पहली किताब थी. वे कहते हैं, 'सहमत ने मुझे जीना सिखाया. हम आसानी से हर कश्मीरी मुस्लिम को एक ही नजर देखते हुए कहते हैं कि कश्मीरी आतंकवादी हैं. हमें यह समझने की जरूरत है कि कोई भी मां अपने बेटे के हाथों में पत्थर नहीं देना चाहती. वहां सालों से टेरर फंडिंग की जा रही है. लेकिन सहमत जैसे लोग भी वहां हैं, जिन्होंने अपना पूरा परिवार देश के लिए दे दिया.
सिक्का ने बातचीत में आगे कहा, 'अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में बहुत कुछ बदल चुका है. मेरी अगली किताब सेक्शन 370 है और एक बार फिर सहमत से प्रेरणा मिली है. '