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Birthday Special : Late परवीन बाबी वो अभिनेत्री जिसने अपनी शर्तों पर जी जिंदगी, फिल्मों में निभाए सबसे बिंदास किरदार

आज बॉलीवुड 70 के दशक की सबसे खूबसूरत और बोल्ड अदाकाराओं में से एक परवीन बाबी को उनके जन्मदिन पर याद कर रहा है. परवीन बाबी वैसे तो हमारे बीच अब नहीं हैं लेकिन आज तक उनके फैन्स और फिल्मी कद्रदान उन्हें भुला नहीं पाए हैं. एक वक्त पर बॉलीवुड की टॉप मोस्ट हीरोइन से लेकर बाद में फिल्मों से दूरी, बीमारियां और ढेर सारे ब्रेकअप्स झेलने के बाद 20 जनवरी, 2005 को परवीन मुंबई में अपने अपार्टमेंट में तन्हा और अकेली इस दुनिया से चली गईं. लेकिन साथ ही छोड़ गईं बहुत सारे सवाल,बहुत से ऐसे किस्से हैं जो आजतक अनसुलझे हैं. आज हम आपको परवीन बाबी की जिंदगी के सफर पर लिए चलते हैं.


ऐसे मिला फिल्मों में ब्रेक
परवीन बाबी का जन्म 4 अप्रैल, 1949 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ में हुआ था. उनकी पढ़ाई लिखाई अहमदाबाद में हुई. कॉलेज के दिनों से ही वो मॉडलिंग किया करतीं थीं. इसी दौरान जाने माने एक्टर प्रोड्यूसर किशोर साहू ने उन्हें एक पार्टी में नोटिस किया. किशोर साहू ने उन्हें फिल्म 'चरित्र' के लिए साइन किया. इसके बाद परवीन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

हीरोइनों के लिए ‘टॉर्चबीयरर’ रहीं परवीन
परवीन बाबी को फिल्म इंडस्ट्री में महिला किरदारों के पैटर्न बदल कर रख देने वाली बोल्ड एक्ट्रेस के तौर पर ज्यादा जाना जाता है. एक बार मशहूर फिल्मकार बी आर इशारा की नज़र स्टाइल में सिगरेट का कश लगाती परवीन बाबी पर पड़ी, उसी वक्त उन्होंने ये समझ लिया कि ये लड़की सिनेमा में फीमेल रोल्स के लिए नया अध्याय लिखेगी     और हुआ भी ऐसा ही. जब सिनेमाई पर्दे पर लड़कियों को सलवार सूट और साड़ी में दिखाने का ज्यादा चलन था  उस दौर में परवीन ने ऐसी लड़कियों के किरदार निभाए जो इंडिपेंडेंट होतीं, मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली बोल्ड लड़कियां थीं. क्रिकेटर से एक्टर बने सलीम दुर्रानी के साथ 1973 में फ़िल्म 'चरित्र' में परवीन को मौका मिला लेकिन  फ़िल्म फ़्लॉप हो गई, लेकिन परवीन को इस फिल्म में सभी ने नोटिस किया.


परवीन की जोड़ी साल 1974 में आई 'मजबूर' फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के जमी और ये उनकी पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म थी. इसके बाद इनकी साथ में 'दीवार  (1975) ', 'अमर अकबर एंथनी', 'शान' और 'कालिया' जैसी फ़िल्में आईं जिन्होंने उन्हें लाइमलाइट में ला दिया. ये शोहरत और बोल्ड अवतार इतना असरदार था कि 1976 में परवीन को प्रतिष्ठित मैग्ज़ीन टाइम ने अपने कवर पर छापा.

जानी मानी फिल्म समीक्षक और लेखक भावना सोमैया ने एक रेडियो इंटरव्यू में ये बताया था कि परवीन बाबी बहुत खुशनुमा एक्टर थीं. वो कभी किसी पत्रकार को नाराज़ नहीं करतीं थीं. लेकिन अक्सर सेहत खराब होने की वजह से वो प्रिंट और रेडियो इंटरव्यू करते वक्त सोफे या काउच पर लेट जाया करतीं और लेटकर ही सवालों के जवाब देतीं.  

निजी जिंदगी में भी बिंदास
महिलाओं के प्रति सोच बदलने वाली परवीन ने असल मायने में अपने निजी और प्रोफेशनल जिंदगी से बहुत कुछ सोच में बदलाव किया.  औरत मर्दों के साथ बैठकर शराब पी सकती है. फिल्मों में बेड सीन्स दे सकती है और रीयल लाइफ में लिव-इन में भी रहने में उसे कोई दिक्कत नहीं है, यही नहीं उसके एक से ज़्यादा बॉयफ्रेंड्स हो सकते हैं. एक्स्ट्रा-मैरिटल रिलेशन भी कोई बड़ी बात नहीं है.

रिश्तों के मामले में परवीन को मिले दर्द
परवीन बाबी ने ताउम्र कभी शादी नहीं की लेकिन कई लोगों के साथ उनके संबंध जरूर चर्चा का विषय रहे.जिन बड़ी हस्तियों ने परवीन के साथ उनके रिलेशन की बात खुलकर स्वीकार की उनमें थे कबीर बेदी, डैनी डेंग्जोपा और महेश भट्ट. महेश भट्ट तो परवीन के साथ लिव-इन में रहते थे जबकि उनकी शादी हो चुकी थी.महेश ने 1982 में ‘अर्थ’ बनाई जो कि उनके और परवीन के रिश्तों पर आधारित थी.

ऐसे हुआ परवीन का अंत
फिल्मों से दूर होने के बाद परवीन फिलॉसफर यू.जी कृष्णमूर्ति के साथ दुनियाभर में घूमीं. परवीन यू.जी कृष्णमूर्ति के साथ ट्रिप के 6 साल बाद, नवंबर 1989 में भारत लौटीं. बहुत कोशिश की खुद को बीमारी से ऊबारने की लेकिन तब तक उन्हें सीज़ोफ्रेनिया ने जकड़ लिया था.समय के साथ परवीन की मानसिक हालत बिगड़ी गई, यहां तक कि परवीन ने मीडिया से ये तक कह दिया कि अमिताभ बच्चन उन्हें मरवाना चाहते हैं. अपने आखिरी समय में परवीन बाबी तन्हा हो चुकी थीं, अपने सभी कर्मचारियों पर शक किया करती थीं. लोग भी उनसे दूर होने लगे थे. इसी दौरान साल जनवरी 2005 में महीने के आखिरी हफ्ते में जब तीन दिनों तक उनके गेट के बाहर से अखबार और दूध नहीं उठाया गया, तब पड़ोसियों ने पुलिस को खबर दी. दरवाजा टूटा तो सामने एक तन्हा लाश पड़ी थी. एक समय हिन्दी फिल्मों की सुपरस्टार रहीं परवीन बाबी इस दुनिया को अलविदा कह चुकीं थीं. 20 जनवरी 2005 को उनकी मौत के बाद बॉडी क्लेम करने वाला कोई नहीं आया. महेश भट्ट ने उनका पार्थिव शरीर स्वीकार किया. शायद ये भट्ट साहब अपनी तरफ से दी गई अंतिम विदाई थी परवीन बाबी को.

परवीन बाबी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन एक कलाकार के तौर पर उन्होने हिंदी सिनेमा में महिला किरदारों को एक फ्रीडम दी जो आज तक कायम है. टीम पीपिंगमून की तरफ से दिवंगत परवीन जी को श्रद्धांजलि.
 

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