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जीतेन्द्र की एक हरकत से नाराज हुए वी शांताराम, इस कारण बनना पड़ा एक्ट्रेस संध्या का बॉडी डबल 

हिंदी फिल्मों के सदाबहार अभिनेता जीतेन्द्र आज 78 साल के हो गए है. 7 अप्रैल 1942 को जन्में जीतेन्द्र का जन्म अमृतसर (पंजाब) में हुआ था. जीतेन्द्र के पिता अमरनाथ और अंकल फिल्मों में ज्वेलरी सप्लाई करने का काम करते थे. आज उनके जन्मदिन हम जानेंगे कि क्यों करियर के शुरूआती दिनों में जीतेन्द्र एक्ट्रेस संध्या के बॉडी डबल बनने के लिए तैयार हो गए थे. 

 सब जानते हैं कि जीतेन्द्र और राजेश खन्ना सेम स्कूल में थे. शुरुआत के 18 साल उन्होंने मुंबई शहर के एक चॉल में गुजारे. फिल्मों में काम करने के लिए एक दिन जीतेन्द्र ने अपने अंकल से कहा कि उन्हें वी शांताराम से मिलना है. एक दिन  शांताराम ने जीतेन्द्र को बुलवाया. अभिनेता को लगा कि शायद कोई अच्छा काम आया है. बाद में पता चला कि जिस दिन कोई जूनियर आर्टिस्ट नहीं आएगा उस दिन उन्हें काम दिया जाएगा.  

शांताराम समय के बहुत पक्के थे उन्हें लेट लतीफ़ लोग पसंद नहीं आते थे. राजस्थान में एक शूटिंग के दौरान डिनर के समय जीतेन्द्र देर से पहुंचे. बस शांताराम को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने अपनी प्रोडक्शन टीम से कहा कि जीतेन्द्र आए तो उन्हें घर भेज दिया जाए. मेकअप मैन को जीतेन्द्र का मैकअप न करने के लिए कहा. दुसरे दिन जीतेन्द्र सुबह 5 बजे उठे और मेकअप आर्टिस्ट से उन्हें तैयार करने के लिए कहा. तैयार होकर जीतेन्द्र शांताराम के कमरे के बाहर रोता हुआ चेहरा लेकर खड़े हो गए. जीतेन्द्र को शूटिंग के कपड़ों में देख शांताराम बहुत खुश हुए और उन्हें एक और मौका देने का फैसला किया.  

 इस वाक्ये के बाद शांताराम ने उन्हें अपनी डांस पर आधारित एक फिल्म में अभिनेत्री संध्या के बॉडी डबल का रोल दिया. बिना किसी हिचकिचाहट के जीतेन्द्र बॉडी डबल बनने के लिए तैयार हो गए. फिल्म रिलीज हुई और काफी हिट रही लेकिन जितेंद्र के करियर को इससे कोई फायदा नहीं हुआ.सके बाद भी जितेंद्र की जद्दोजहद जारी रही. लगभग पांच सालों तक उन्हें कोई दूसरी फिल्म नहीं मिली. वी शांताराम अपनी अगली फिल्म के लिए नए मेल चेहरे की तलाश कर रहे थे. 1964 में जाकर जितेंद्र को फिल्म मिली 'गीत गाया पत्थरों ने', लेकिन दूसरी फिल्म में भी जीतेन्द्र को कोई सफलता नहीं मिली. आखिरकार 1967 में आई एक फिल्म ने उनके लिए सफलता की इबारत लिखी. ये फिल्म थी 'फर्ज'. इस फिल्म ने ना सिर्फ रिकॉर्ड सफलता पाई बल्कि इस फिल्म में पहले गए सफेद जूते और टी-शर्ट उनका ट्रेडमार्क बन गए जिसे उनकी 'कारवां' और 'हमजोली' जैसी फिल्मों में भी फॉलो किया गया.फर्ज जीतेन्द्र के करियर की ऐसी फिल्म थी जिसने उन्हें बुलंदियों के शिखर पर पहुंचा दिया. श्रीदेवी और जाया प्रदा के साथ उन्होंने ज्यादा फिल्में की.उस जमाने में इतनी हीरोइनें नहीं थी इसलिए  ज्यादातर फिल्मों में एक्ट्रेसेस रिपीट की जाती थी. 

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