फिल्म में अमिताभ और आयुष्मान एक मकान मालिक और किरायेदार की भूमिका निभा रहे हैं. अमिताभ एक ऐसे मकान मालिक की भूमिका में हैं जो घर के अंदर बकरियों को पालता है अपने किरायेदार को बाहर निकलना चाहता है. ट्रेलर की शुरुआत आयुष्मान के चिल्लाने से होती है जहां वो पूछते हैं, 'हमारे एक बात समझ नहीं आ रही है. वहां अल्युमिनियम की हंडियां पड़ी थी, यहां मिर्जा की चप्पलें पड़ी थीं. वहां दो बकरियां बांध रखी थी, साला हमारा ही बल्फ मिला निकालने के लिए.
फातिमा महल के चाचा अपने किरायेदारर से परेशान जो न तो किराया बढ़ाता है और न ही कमरा छोड़ता है. तंग आकर अमिताभ आयुष्मान की बाइक पार्किंग के लिए भी चार्ज करने लगते हैं. फिल्म का बैकड्रॉप नवाबों का शहर लखनऊ है.
ट्रेलर में जामा मस्जिद की झलक दिखाई देगी क्यूंकि अमिताभ और आयुष्मान का झगड़ा कोर्ट तक पहुंच जाता है. बाद में विजय राज की एंट्री होती है जो पता लगाते है कि दोनों के बीच झगड़ा क्यों हो रहा है. वह आग में फ्यूल डालने का काम करता है. एक दृश्य ऐसा भी है जहां अमिताभ अपने आपसे बात करते हुए कहते है कि वो इस हवेली से कितना प्यार करते है. आयुष्मान दखल देते हुए कहते है आपका कोई बेटा नहीं मेरा कोई पिता नहीं, बेचने का ख्याल छोड़ दो और मुझे गोद लेलो. अमिताभ का रिएक्शन एपिक रहता है.
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