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स्टार स्टडेड पार्टियों में शामिल नहीं होने के बारे में मनोज बाजपेयी ने कहा- 'मैं अपने मिडिल क्लास जीवन का त्याग नहीं कर सकता'

मनोज वाजपेयी बॉलीवुड के उन स्टार्स में से एक हैं, जिन्होंने अपनी एक्टिंग के दम पर इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाई है. मनोज को हमने हीरो से लेकर विलन तक के किरदार में खुद को बड़ी आसानी से ढालते हुए देखा है. इसका सबसे बड़ा सबूत उनकी हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज 'भोसले' है, जिसमे उन्होंने 60 साल के रिटायर्ड पुलिस वाले की भूमिका निभाई है. ऐसे में एक्टर ने अपने हाल में दिए इंटरव्यू में खुलासा किया है कि बैंडिट क्वीन की रिलीज के 5 साल तक उनकी कोई भी फिल्म नहीं चली थी.

मनोज कहते हैं, "शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन में पेश होने के बाद, पांच साल के लिए पूरी तरह से सुस्त था. मैंने जो भी किया, वह चला नहीं था."

मनोज ने आगे कहा कि रूढ़िवादी बनने से बचने के लिए उन्हें भूमिकाओं से इनकार करना पड़ा, "छोटे शहरों के एक्टर्स और डायरेक्टर्स  जो नई कहानियां बताना चाहते थे, उन्हें सत्या से बहुत ताकत मिली. 1998 से पहले, सिर्फ कमर्शियल फिल्में थीं. यह एक ऐसी इंडस्ट्री थी, जिसमें मेरे जैसे चेहरे वाले को फ़िल्में नहीं मिलती थीं. जब मैंने एक्टिंग शुरू की, तब मुझे ‘नहीं’ कहना पड़ा क्योंकि मैं टाइपकास्ट नहीं होना चाहता था. हमारे इंडस्ट्री में हमारे पास नाजुक अहंकार है और जब हम कहते हैं कि नहीं, खास तौर से एक अहम शख्स को तब वह इतनी आसानी से इसे भूलते नहीं."

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आगे मनोज कहते हैं, "यहां तक कि जो फिल्में मुझ मिली उन्होंने औसत दर्जे की कमाई की, जिसकी वजह से मेरा ग्राफ नीचे चला गया. हमारे इंडस्ट्री का ध्यान बॉक्स-ऑफिस रिटर्न पर केंद्रित किया गया है. आखिरकार मुझे राेजनेती मिली, जिसे कई लोगों ने मेरी वापसी के रूप में देखा, और यहां से मेरा करीयर फिर से शुरू हो गया. वे मेरे जीवन के सबसे व्यस्त दिन थे फिर भी मुझे एक पैसा भी नहीं मिला. जब भी मेरा बैंक बैलेंस मुझे परेशान करता है, तब मैं एक फिल्म रोल करता हूं और उसे संतुलन कर लेता हूं. मुझे तब एहसास हुआ कि मुझे एक एक्टर के रूप में अपने विकास पर काम करने की ज़रूरत है और तब मैंने आरकशन, स्पेशल 26 और गैंग्स ऑफ़ वासेपुर जैसी फिल्मों ने मेरी दृष्टिकोण में बदलाव की बात की. एक्टिंग लगातार बदलती कला है और हमें खुद को अपग्रेड करते रहना चाहिए. मैं बहुत सारे इंटरनेशनल फिल्में और OTT कंटेंट देखता हूं. मैं यह जानने के लिए खुला रहता हूं कि दूसरे क्या कर रहे हैं और उनसे सीखने के लिए क्या है. ऐसे लक्ष्य लगातार बढ़ना है."

स्टार स्टडेड पार्टियों में शामिल नहीं होने के बारे में बताते हुए मनोज बाजपेयी कहते हैं, "मैं अपने मध्यम-वर्गीय जीवन का त्याग करने के लिए तैयार नहीं हूं. मुझे सब्जी विक्रेता से बात करना बहुत पसंद है. मैं सड़कों पर लोगों से बात करते हुए जीवित महसूस करता हूं और जब वे मुझे पहचानते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है."

(Source: The New Indian Express)

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