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'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' को लेकर दिए अभय देओल के कमेंट पर बोले फरहान अख्तर, कहा- 'दूसरों की वैलिडेशन देती है कुछ देर की खुशी'

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म को लेकर बहस छिड़ गई है. नेपोटिज़्म को लेकर कई बड़े सेलेब्स ने अपने रिएक्शन्स दिए हैं. वहीं फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म और ग्रुपिज्म के ही मद्देनजर कुछ वक्त पहले अभय ने 'ज़िंदगी ना मिलेगी दोबार' को लेकर अवॉर्ड शो में रितिक रोशन को नॉमिनेटेड किए जाने पर सवाल खड़े किए थे. अब इस सवाल पर अभय के को-स्टार फ़रहान अख्त़र की प्रतिक्रिया सामने आई है.
 

एक लीडिंग वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में फरहान ने कहा कि, 'आप लगातार इस बात को सुन रहे हैं कि एक किस्म की दौड़ लगी हुई है.  लोग एक-दूसरे से एक ऐसे स्पॉट के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जो मौजूद ही नहीं है। आपको खु़द पर विश्वास करना होगा, जिम्मेदारी से और मेहनत के साथ काम करना होगा. हम हमेशा अपने काम के लिए आप किसी और की स्वीकृति पर निर्भर नहीं रह सकते. आप हमेशा रैट रेस में नहीं भाग सकते. आपको हमेशा अपने काम के लिए दूसरों की स्वीकृति पर निर्भर नहीं होना चाहिए. खुद पर भरोसा रखें और वो काम करें जो काम करने में आपको खुशी मिलती है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन कितने मैगजीन के कवर पर नजर आए हैं और कौन कितने न्यूजपेपर्स के कवर पर. क्या हम लोग इसके लिए इस इंडस्ट्री में हैं अपने क्राफ्ट के लिए. क्या आप इस इंडस्ट्री में रिएलिटी स्टार बनने आए हैं?'


फरहान ने आगे कहा, 'उन्हें बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें कितने अवॉर्ड मिल रहे हैं या कितनी मैगजीन. वो इस इंडस्ट्री में अपने क्राफ्ट की वजह से हैं.' फरहान ने अभय देओल के कमेंट पर जवाब देते हुए कहा, ''उन्होंने क्या महसूस किया ये उनका बेहद निजी अनुभव है. मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता. अगर आपको हमेशा दूसरों की वैलिडेशन चाहिए तो, ये आपको कुछ देर के लिए तो खुशी दे सकता है लेकिन अंत में निराशा ही देगा. आप अपने काम से प्यार करिए.''

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बता दें कि, अभय देओल ने एक पोस्ट में कहा था, ''जिंदगी न मिलेगी दोबारा, साल 2011 में आई थी. इसका नाम लगातार रट रहा हूं आजकल. जब परेशान हों तो ये एक अच्छी फिल्म है.'' साथ ही उन्होंने कहा था कि 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' के लिए उन्हें सही एप्रीसिएशन नहीं मिला था. अवॉर्ड्स में उन्हें सपोर्टिंग एक्टर बना दिया और ऋतिक को मेन हीरो. अभय ने कहा कि उन्हें इसका बुरा लगा औऱ उन्होंने अवॉर्ड नाइट्स में जाना छोड़ दिया. वहीं, फरहान को लेकर उन्होंने कहा था कि उन्हें इस बर्ताव का बुरा नहीं लगा शायद.

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

“Zindagi Na Milegi Dobara”, released in 2011. Need to chant this title to myself everyday nowadays! Also a great watch when anxious or stressed. I would like to mention that almost all the award functions demoted me and Farhan from main leads, and nominated us as “supporting actors”. Hrithik and Katrina were nominated as “actors in a leading role”. So by the industry’s own logic, this was a film about a man and a woman falling in love, with the man supported by his friends for whatever decisions he takes. There are many covert and overt ways in which people in the industry lobby against you. In this case it was shamelessly overt. I of course boycotted the awards but Farhan was ok with it. #familyfareawards Very creative artwork @kalakkii

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(Source: India Today/Instagram)

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