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फेवरेटिज्म और कैम्प्स सैफ अली खान के लिए हैं अलग-अलग विषय, बताया- 'खुद बन चुका हूं नेपोटिज्म का शिकार'

बॉलीवुड के नवाब यानी सैफ अली खान उन बॉलीवुड स्टार्स में से एक हैं, जिन्होंने कई तरह के जॉनर्स में काम करने के साथ-साथ इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. आपको बता दें कि सैफ बॉलीवुड इंडस्ट्री में से पहले ऐसे स्टार्ट थे जिन्होंने डिजिटल स्पेस में अपना कदम रखा था. इस तरह से अपने लीड रोल से लेकर सपोर्टिंग रोल और फिर विलन तक की भूमिका बड़ी ही आसानी से उन्होंने की. ऐसे में हाल ही में दिए अपने इंटरव्यू में बॉलीवुड में होने वाले नेपोटिज्म, ग्रुपिज्म और फेवरेटिज्म पर सैफ ने खुलकर बात की है. इतना ही नहीं एक्टर ने यह भी दावा किया कि वह भी इसका शिकार हुए हैं.

नेपोटिज्म के बारे में बोलते हुए, सैफ कहते हैं, "भारत में एक इनिक्वालिटी है जिसे तलाशने की जरूरत है. नेपोटिज्म, फेवरेटिज्म और कैंपेन एक अलग ही विषय है. यहां तक कि मैं नेपोटिज्म का शिकार रहा हूं, लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता. फिल्म इंस्टिट्यूशन के और भी लोगों को सामने आते हुए देख मुझे खुशी हुई है."

(यह भी पढ़ें: Photos: बाहर सैर करते दिखे सैफ अली खान, करीना कपूर खान और तैमूर, सुरक्षा को ध्यान में रख पहन रखा था मास्क)

साफ आगे कहते हैं कि नेपोटिज्म की वजह से अगर किसी टैलेंटेड शख्स को किसी कम टैलेंटेड दूसरे शख्स के साथ रिप्लेस किया जाता है, तो यह गलत है. नेपोटिज्म मौजूद है और यह दुनिया का तरीका बन गया है लेकिन मुझे सही नहीं लगता कि किसी बैकग्राउंड से आए हुए शख्स को किसी ज्यादा टैलेंटेड इंसान की जगह देना ठीक है. हालांकि इन यंग एक्टर्स की एक बड़ी लहर है जो इंडस्ट्री में एक गॉडफादर और फादर के बिना अपना रास्ता बना रहे हैं."

सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद शुरू हुए नेपोटिज्म, कैंपेन और ग्रुपिज्म जैसे मुद्दों के बारे में बात करते हुए सैफ अली खान कहते हैं, "वह टैलेंटेड एक्टर था और एक गुड लुकिंग व्यक्ति. मुझे लगा कि उसका ब्राइट फ्यूचर है. वह मेरे साथ बहुत विनम्र था और उसने मेरे गेस्ट अपीरियंस की फिल्म में सराहना की थी. उसे एस्ट्रोनॉमी और फिलॉसफी जैसे टॉपिक पर बात करना पसंद था. मुझे लगा था कि वह मेरी तुलना में ज्यादा तेज है."

(Source: New Indian Express)

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