बॉलीवुड के मशहूर गायक कुमार सानू हमेशा युवा दिलों की धड़कन रहे हैं. 90 के दशक में फिल्मों में रोमांटिक गानों का मतलब कुमार सानू होते थे. उन्होंने फिल्मों के कई गानों में अपनी शानदार आवाज से दर्शकों के दिलों को जीता.फिल्मों में चाहे कोई भी हीरो या हीरोइन हो अगर उनका गाना होता था तो समझो फिल्म हिट. 'आशिकी', 'साजन', 'दीवाना', 'बाजीगर', '1942: ए लव स्टोरी', 'हम हैं राही प्यार के' और 'दामिनी' जैसी सैकड़ों फिल्मों को अपनी गायिकी से सजाने वाले और भारत की कई भाषाओं में 14000 से ज्यादा गानें गा चुके पद्मश्री कुमार सानू ने हाल ही में एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए नेशनल अवॉर्ड नहीं मिल पर दुख व्यक्त किया है.
एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए कुमार सानू ने कहा, 'नेशनल अवॉर्ड मुझे अब तक नहीं मिला है क्योंकि नेशनल अवॉर्ड वाले शायद यह सोचते होंगे मैं National Awrds के लायक नहीं हूं, इसलिए मुझे नहीं दिया गया नेशनल अवॉर्ड. मुझे लगता है 1990, 91, 92, 93, 94, 95 और 1996 तक यानी लगातार 7 साल... हर साल मिलना चाहिए था. इन 7 सालों में मेरे गानों से ज्यादा पॉपुलर और हिट कोई और सॉन्ग्स नहीं थे.'
कुमार सानू ने आगे कहा कि, 'साल 1990 से 1996 तक जब नैशनल अवॉर्ड नहीं मिला, उसके बाद छोड़ दी उम्मीद, अब मुझे नहीं लगता आगे कभी मिलेगा, जिस समय देना चाहिए था, उस समय तो दिया नहीं, अब क्या देंगे. मैं 1990 से 1996 हर साल इंतजार करता था क्योंकि नेशनल अवॉर्ड एक अलग सम्मान है, सरकारी रिकॉग्नाइजेशन है, उसे पाने की एक अलग ही फीलिंग होती है. मैं क्या ही बोलूं आपको कैसे बताऊं नैशनल अवॉर्ड मिलने का गर्व क्या होता है.'
कुमार सानु ने आगे कहा कि, 'खैर अब तो नेशनल अवॉर्ड की बात नहीं हैं, पब्लिक जितना चाहती है, मुझे प्यार देती है, वही अवॉर्ड है. पब्लिक सब जानती है कि जिनको भी नेशनल अवॉर्ड - पद्म सम्मान मिला है और मिलता है, वह सचमुच कितने डिजर्विंग हैं. मेरे बोलने से कोई भी फायदा नहीं है, नैशनल अवॉर्ड के लिए बहुत ज्यादा जोड़-तोड़ और हथकंडे अपनाएं जाते हैं.'
(Source: NavBharatTimes)