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बीएमसी के अवैध निर्माण नोटिस पर सोनू सूद ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, आज होगी सुनवाई

अवैध निर्माण से जुड़े मामले में सोनू सूद को बॉम्बे हाईकोर्ट से झटका लगा था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण पर एक्शन का फैसला पूरी तरह से बीएमसी के ऊपर छोड़ दिया था. . हाईकोर्ट ने सोनू सूद की उस अपील और अंतरिम याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने जुहू स्थित अपनी आवासीय इमारत में कथित अवैध निर्माण को लेकर बीएमसी के नोटिस को चुनौती दी थी. वहीं इसके बाद सोनू सूद ने बॉम्‍बे हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. मामले पर सुनवाई आज होगी. 
 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच द्वारा सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी. सोनू सूद और उनकी पत्नी ने अपने वकील वीनीत द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही इंटरनल रेनोवेशन के काम को रोक दिया है, जिसके लिए महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम, 1966 की धारा 43 के प्रावधानों के अनुसार कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं है. इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि जो रेनोवेशन बिल्डिंग में किया गया है उसे बीएमसी द्वारा ध्वस्त किए जाने से रोका जाए.

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बीएमसी ने पिछले साल अक्टूबर में सोनू सूद को नोटिस जारी किया था. बीएमसी ने अपने नोटिस में आरोप लगाया था कि सूद ने छह मंजिला 'शक्ति सागर' रिहायशी इमारत में ढांचागत बदलाव कर उसे वाणिज्यिक होटल में तब्दील कर दिया. इस मामले में सोनू सूद ने अपनी सफाई भी पेश की थी. अभिनेता ने यह स्पष्ट किया था कि उन्होंने बदलाव को लेकर बीएमसी से इजाजत ली थी. वह केवल महाराष्ट्र कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे थे. खुद पर लगे आरोपों पर सोनू सूद ने कहा था कि उन्होंने जुहू स्थित अपने आवासीय इमारत को लेकर कोई भी अनियमितता नहीं बरती थी. मैंने हमेशा से कानून का पालन किया. महामारी के समय में इस इमारत को कोरोना वॉरियर्स के रहने की जगह के रूप में इस्तेमाल किया गया था.

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