मुंबई को 1948 में चेंबूर में अपने ऐतिहासिक आर के स्टूडियो मिला था. इसकी स्थापना राज कपूर ने की थी जिसे बॉलीवुड ने महान शोमैन का नाम दिया. इसका निर्माण आजादी के एक साल बाद हुआ.
राज कपूर का चेंबूर में हेडक्वाटर हुआ करता था इसी वजह से उन्होंने अपना स्टूडियो वहां बनाया. वो जगह उनके लिए लक्की साबित नहीं हुई क्योंकि राज कपूर की बतौर निर्माता और निर्देशक के रूप में पहली फिल्म थी, फिल्म 'आग' की को-स्टार नर्गिस, प्रेमनाथ और कामिनी का अभिनय बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाया. लेकिन कुछ समय बाद 1949 में आई फिल्म 'बरसात' से उन्हें सफलता मिली. उस स्टूडियो का लोगो बहुत शानदार था जिसमें उनकी लीडिंग लेडी के साथ उनकी तस्वीर थी, ये लोगों उनकी एक फिल्म के सीन से प्रेरित था. इसके बाद आरके स्टूडियो से एक के बाद सुपरहिट फिल्में मिलने लगी. इस लिस्ट में अवारा 1951, बूट पोलिश, जागते रहो और श्री420 शामिल हुई. इसके साथ ही म्यूजिक डायरेक्टर शंकर जैशान ने आर के स्टूडियोज से अपनी कई फिल्मों के ट्रैक बनाए. जो आखिरी फिल्म जो वहां 1999 शूट हुई वो थी 'आ अब लौट चलें'.
राज कपूर निधन के लंबे समय बाद उनके दूसरे पुत्र ऋषि ने निर्देश्न में हाथ अजमाया. आर के स्टूडियो की खासियत की
अगर बात करें तो मैनेजमेंट ने राज कपूर की फिल्मों में यूज होने वाले सारे कपड़े संभाल के रखे थे. अब आशंका है कि इस गोदाम को आज के जलने से बॉलीवुड का ये खजाना जलकर खाक हो गया होगा.