इस महीने की शुरुआत में, मनोज बाजपेयी ने अपने करियर का तीसरा नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किया है. भोसले में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर अवॉर्ड के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. उन्होंने एक इंटरव्यू में, यह खुलासा किया है कि उन्होंने अपने पहले के कुछ प्रदर्शनों को स्वीकार नहीं किए जाने के बाद राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने की उम्मीद छोड़ दी थी.
मनोज ने कहा कि उन्हें बुरा लगा और उन्होंने कुछ साल के लिए उम्मीद छोड़ दी. जब अलीगढ़ में उनके प्रदर्शन को नेशनल अवॉर्ड्स जूरी द्वारा लटकाया गया था, तो सोशल मीडिया पर भारी नाराजगी थी, और उन्होंने महसूस किया कि उन्हें टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है,क्योंकि दर्शकों ने निर्णय के साथ असंतोष व्यक्त करने के लिए खुद को लिया.
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एक इंटरव्यू में मनोज कहते हैं, "3-4 प्रदर्शन थे मेरे पास्ट में, उनमे मिला नहीं मुझे. उसको लेकर सोशल मीडिया पर बड़ा हंगामा भी हुआ, लोगों ने प्रोटेस्ट किया. मुझे लगा ये लोग मूड में नहीं हैं मुझे देने के तो मैं साड़ी आशाएं छोड़ देता हूं."
वह आगे कहते हैं, "मुझे लगता है दर्शक ही मेरा काम कर देते है. और जब वह कर देते हैं, तब आपको महसूस होता है कि अब मुझे कुछ कहने की जरुरत नहीं है. वे वास्तव में विरोध या असंतोष दर्ज करने का मंत्र ले रहे हैं. इसीलिए मैं कुछ नहीं कहता."
(Source: hindustan times)