इरफ़ान खान को गुजरे हुए एक साल हो गया है. आज उनकी पहली पुण्यतिथि पर उनके प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं और भावुक हो रहे है. इरफ़ान के साथ हिंदी मीडियम और अंग्रेजी मीडियम में काम कर चुके दीपक डोबरियाल ने अभिनेता के बारे में कहा, 'जब प्रदर्शन की बात आती है तो वह नियम तोड़ने वाले थे. वह जब भी कोई सीन करते थे, हर बार अभिनय का एक अलग लेवल सेट करते थे. वह बहुत विचारशील थे. वह कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहते थे जिसका वह ईमानदारी से नहीं रखते थे. सादगी और ईमानदारी उनके सबसे बड़े गुण थे.
"केवल एक बार मैंने उन्हें 'अंग्रेजी मीडियम' सेट पर कमजोर होते देखा था. बाकी 70 दिनों के लिए वह ठीक थे. हमने उनकी मैन सर्जरी के बारे में बात की, और मैंने पूछा कि क्या हम किसी दुसरे तरीके से ट्यूमर से छुटकारा पा सकते हैं जो कि नॉन-सर्जिकल हो. उन्होंने कहा कि वह बार-बार दर्द से गुजरते हुए थक गए हैं. एक बच्चे की तरह, वह या तो चीजों को इस तरह से या उस तरह से चाहते थे. उन्हें नहीं पता था कि बीच का रास्ता कैसे निकाला जाए. आप कह सकते हैं कि वह अपने इलाज से परेशान हो रहे थे. वह चाहते थे कि ट्यूमर को हटा दिया जाए.'
दीपक ने उस समय को याद किया जब इरफान कहीं से भी किसी समस्या को ऐसे हल करते थे जैसे कुछ था ही नहीं. उन्होंने कहा, 'एक बार हिंदी मीडियम के पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान उनके मैनेजर को डेट इश्यू था. मुझे और उन्हें दोनों को एक एक्स्ट्रा डेट देना था लेकिन उनके मैनेजर ने मना कर दिया उनकी कहीं और कमिटमेंट थी. वह प्रोडक्शन को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि यह नामुमकिन है. मैंने भी कहा कि मेरे पास भी डेट्स नहीं है. मैं अपने कमिटमेंट्स को नहीं बदल सकता. इरफ़ान भाई आये और उन्होंने मेरी अवेलेबिलिटी के बारे में पूछा. मैंने कहा कि मैं इस एक दिन अवेलेबल हूं, वह तुरंत अपने मैनेजर के पास गए और कहा, 'बात ख़त्म', हम तब शूट करेंगे जब दीपक के पास डेट्स होगी. कौन करता है ऐसा ? कोई बड़ा अभिनेता मेरे लिए अपना टाइम शेड्यूल क्यों एडजस्ट थे. वह था. वह एक्सप्रेसिव थे.
इरफ़ान ने बीमारी के बारे में ज्यादा लोगों को नहीं बताया था. उनके ऑफिशियल ट्वीट के बाद सभी को इसके बारे में पता चला और किस तरह वो लड़ने के लिए तैयार हो रहे थे. दीपक ने उस समय को भी याद किया जब इरफ़ान ने पहली बार उनसे अपनी बीमारी के बारे में बात की थी. वो सकारात्मक दिखाई दे रहे थे. वह लड़ने के लिए तैयार थे. उन्होंने कहा कि वह इलाज करवाएंगे और सबकुछ ठीक हो जाएगा. उसके पास लोगों को उस समय ताकत देने की यह अजीब क्षमता थी जब उन्हें खुद दुनिया की सारी ताकत की जरूरत थी. उस समय में मैं राजस्थान में 'लाल कप्तान' की शूटिंग कर रहा था और जब हमें इसके बारे में पता चला तो हम सभी एक मंदिर में इरफ़ान भाई के लिए प्रार्थना करने के लिए गए. जब उनका निधन हुआ तो हम में से ज्यादातर लोग, उनके फैंस यहां तक कि जो उन्हें नहीं जानते थे वो सब भी अविश्वास में थे. हमें लगा था वह कर पाएंगे. वह फाइटर थे. उन्हें दवाइयों में विश्वास था. हमें पूरा विश्वास था कि एक आदमी जो जीवन के बारे में इतना सकारात्मक था, वह थोड़ा और जीवन का जश्न मनाने के लिए जीएगा. उनका नुकसान अभी भी अथाह है.
दीपक ने कहा कि वह आदमी समानता में विश्वास करता था. उनके लिए प्रतिभा, निष्ठा और तीव्रता मायने रखती है. कोई नियम नहीं था, कोई फॉर्मूला उन्हें रोक नहीं सकता था अगर वह एक निश्चित दृष्टि रखते थे. वह इवेंट्स पर मेरे कंधो पर हाथ रख दिया करते थे प्रोड्यूसर्स से मेरे काम के बारे में बात करते थे. केवल उन्हें घूरता रहता था लोगों की मदद करने के उनके तरीकों को समझने की कोशिश कर रहा था, जो उनका सम्मान करते थे और उनकी देखभाल करते थे. कोई दूसरा इरफान नहीं हो सकता.