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पिता इरफ़ान के निधन के बाद के जीवन के बारे में बाबिल ने  कहा,'जीने की कोई इच्छा नहीं थी' 

आज इरफ़ान खान के निधन को एक साल पूरा हो गया. पिछले साल आज ही के दिन उन्होंने परिवार, प्रशंसकों और फिल्मों को छोड़ इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनके निधन की खबर ने उनके फैंस के साथ पूरी फिल्म इंडस्ट्री को दुखी कर दिया था. इरफ़ान के निधन से उनके परिवार को गहरा धक्का लगा. बाबिल ने बताया कि उनके पिता उनके बेस्ट फ्रेंड थे. उन्हें हर दिन उनकी याद आती है. और सपनों में भी वो उन्हें ही देखते है. 

बाबिल ने बताया, 'ये मेरे लिए सबसे बड़ा नुकसान था. वो अचानक चले गए और मेरे लिए ये समझाना मुश्किल है.सभी के लिए ये कहना आसान है कि जिंदगी में आगे बढ़ो लेकिन आप वो अनुभव नहीं कर सकते जो मैंने किया है.'

उन दिनों के बारे में बात करते हुए जब इरफान इलाज के लिए अस्पताल में थे, बाबिल ने कहा, 'पहले कुछ दिनों के लिए मां ऐसी थी जैसे वह इसे इतने अच्छे तरह से किए ले रहे हैं. यह बहुत खराब था. मैं उस दर्द को बयां नहीं कर सकता जिससे वो गुजर रहे थे. 

मुझे याद है जब वे एक कैथेटर डालने जा रहे थे और मुझे कमरे से बाहर जाने के लिए कहा और उन्होंने लगभग चिल्लाते हुए कहा, बाबिल तुम कहीं मत जाओ 'मुझे छोड़ के. उन्होंने मुझे कमरे से बाहर निकाला और उन्होंने चिल्लाकर मेरा नाम लिया. मुझे इतना दर्द और बेबसी कभी महसूस नहीं हुआ. मैं बस वहीं बाहर खड़ा था, उन्हें मेरा नाम चिल्लाते हुए सुन रहा था. 
बाबिल ने आगे बताया कि इरफ़ान के निधन के दो दिन बाद वह गहरे, गहरे, गहरे डिप्रेशन में चले गए थे.  जागने की कोई इच्छा नहीं थी. 

मां सुतापा को ताकतवर बताते हुए बाबिल ने कहा, मेरा हो गया था. मेरे पास जीने की कोई इच्छा नहीं थी. मैं अभी भी इसके साथ बहुत स्ट्रगल करता हूं. उस समय मम्मी स्ट्रेंथ थी. वह हमेशा से हमारे परिवार की ताकत थी. बाबा के पूरे करियर में. हर कोई कहता है बाबा ऐसे थे, बाबा वैसे थे लेकिन मम्मी के बिना बाबा कुछ भी नहीं थे. वह परिवार की ताकत है. 

बहुत जल्द बाबिल तृप्ति डिमरी के साथ फिल्म 'कला' से डेब्यू करेंगे, इस फिल्म को अनुष्का शर्मा प्रोड्यूस कर रही हैं. 

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