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'कभी अलविदा ना कहना...' गाने वाले किशोर दा, आज के दिन दुनिया को कह गए अलविदा

70-80 के दशक में बॉलीवुड में महान अभिनेताओं के अधिकतर मशहूर गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाले लोकप्रिय गायक किशोर कुमार की आज 30वीं पुण्‍यतिथि है. किशोर कुमार 58 साल के थे, जब 13 अक्टूबर 1987 में उनकी मृत्यु हो गई थी. किशोर दा की जादुई आवाज को सभी दिग्गज कलाकार अपने नाम करना चाहते थे.

4 अगस्त वर्ष 1929 को खंडवा में एक वकील के घर जन्मे किशोर दा का असल नाम आभास कुमार गांगुली था. किशोर कुमार अक्सर अपनी कॉलेज कैंटीन में बैठकर गाने गाया करते थे. किशोर दा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत देवानंद की फिल्म 'जिद्दी' से की थी. उस समय किशोर दा को कोई सफलता हाथ नहीं लगी. फिर साल 1957 में आई फिल्म 'फंटूश' के गीत 'दुखी मन मेरे' ने किशोर कुमार को एक अलग ही पहचान दिला दी.

किशोर दा का भाग्य साल 1969 में आई फिल्म 'आराधना' से चमका. इस फिल्म के गीत 'रूप तेरा मस्ताना' के लिए उन्हें पहले फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला. अपनी शानदार गायकी के अलावा किशोर दा ने कई फिल्मों में अपने शानदार अभिनय का भी परिचय दिया है. अपने करियर में किशोर दा को आठ बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया. वर्ष 1986 में उन्हें पहला हार्ट अटैक आया था हालांकि उस वक्‍त मेडिकल ट्रीटमेंट के चलते उनकी सेहत में सुधार आ गया था. लेकिन 1 साल बाद 13 अक्टूबर 1987 को दूसरे हार्ट अटैक के कारण किशोर दा की मृत्‍यु हो गई.

जानिए किशोर दा से जुड़ी कुछ दिलचस्‍प बातें...
- किशोर दा इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना.

-वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी. किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पांच रुपये बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पांच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पांच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे.

 

- किशोर कुमार को अपने करिअर में वह दौर भी देखना पड़ा, जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिलता था. तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवनयापन करने को मजबूर थे. बंबई में आयोजित एक ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओ.पी. नैय्यर ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने भावविह्लल होकर कहा कि महान प्रतिभाएं तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं, लेकिन किशोर कुमार जैसा पाश्र्व गायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है. उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पाश्र्व गायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया.

- अपने सम्पूर्ण फिल्मी करिअर में 600 से भी अधिक हिंदी फिल्मों के लिए अपना स्वर दिया. इसके अलावा उन्होंने बंगला, मराठी, असामी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी और उडिय़ा फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिये श्रोताओं को भाव विभोर किया.

-किशोर कुमार ने कई अभिनेताओं को अपनी आवाज दी, लेकिन कुछ मौकों पर मोहम्मद रफी ने उनके लिए गीत गाए थे. दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद रफी, किशोर कुमार के लिए गाए गीतों के बदले सिर्फ एक रुपया पारिश्रमिक लिया करते थे.

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