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ईशा और बच्ची को अस्पताल से घर ना लाये जाने के लिए उन्होंने कहा कि हम घर पर ईशा और बच्ची के स्वागत की तैयारी करने में व्यस्त थें और अस्पताल में भारत की फैमिल ईशा के साथ थी. घर आने के बाद सबसे पहले हमने आरती उतारी जैसा की हिन्दू धर्म में होता है. मेरा पूरा स्टाफ पटाखे जला रहा था लेकिन हमने पटाखे नहीं जलाए क्यूंकि हम बच्ची को डिस्टर्ब नहीं करना चाहते थे.
मेरे पहले नाती (डेरेन) के जन्म पर मैं जीतनी खुश थी उतनी ही अभी भी हूं लेकिन समय बहुत जल्दी बदलता है. अब वो धीरे-धीरे बड़ा रहा है और स्कूल भी जाने लगा है. मेरी छोटी बेटी अहाना, ईशा का बहुत ध्यान रखती है क्यूंकि मां बाने का उसे ज्यादा अनुभव है.