साल 2017 में 'पोस्टर बॉयज़' में सपोर्टिंग एक्ट्रेस से लेकर साल 20-18 मे लैला मजनू और साल 2020 में ओटीटी पर रिलीज हुई 'बुलबुल' से फिल्मफेयर ओटीटी बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड जीतने वाली उत्तराखंड की तृप्ति डिमरी ने मात्र 4 साल में इंडस्ट्री में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है. हाल ही में बॉम्बे टाइम्स के साथ खास बातचीत में, 'बुलबुल' गर्ल ने इंडस्ट्री में अपने पहले ब्रेक से लेकर सबसे मुश्किल दौर को लेकर बात की.
बॉलीवुड में अपने पहले ब्रेक को लेकर तृप्ती ने कहा कि, 'सच कहूं तो एक्टिंग करियर को लेकर मुझे ज्यादा उम्मीद नहीं थी. मैं दिल्ली से हूं और मैंने एक मॉडल के तौर पर शुरुआत की थी. और उसके बाद मैंने कई कमर्शियल एड किए थे. और मैं एक्टिंग को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी. शुरूआत में मैंने इस और बहुत ज्यादा प्रयास कभी नहीं किए थे, क्योंकि मेरे पास कोई कॉन्टेक्ट नहीं था और ना मुझे ये पता था कि इंडस्ट्री में कैसे आना है. और मुझे मेरे माता पिता भी फिल्मों में करियर के लिए मुंबई में अकेले रहने की परमिशन नहीं देते तो ये सब था. और पहला ब्रेक मुझे सोशल मीडिया के जरिए ही मिला. पोस्टर बॉयज की टीम ने मुझे देखा और मुझसे खुद संपर्क किया. मैंने उनसे कहा कि मैं एक्टिंग के बारे में कुछ नहीं जानती, फिर भी मैंने ऑडिशन दिया और मुझे बहुच आश्चर्य हुआ कि मेरा सेलेक्शन हो गया. फिल्म की रिलीज के बाद ही मेरे माता-पिता ने अपना माइंड चेंज किया. मुझे मुंबई आने की परमिशन दी. वहीं इसके तुरंत बाद, मुझे 'लैला मजनू' मिल गई. उस समय किस्मत मेरे साथ थी. शुरुआत से ही मुझे अच्छे प्रोजेक्ट मिले है.'
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वहीं 'लैला मजनू' और 'बुलबुल' में लम्बा गैप और उस दौरान डिमोटिवेटेड होने को लेकर एक्ट्रेस कहतीं है, 'यह बीच का समय बहुत डिमोटिवेटिंग था. आप कब तक सिर्फ और सिर्फ बहुत अच्छा सोच सकते है. ऐसा आप एक या दो महीने तक कर सकते हैं और फिर आप थक जाते हैं. मैंने अच्छी स्क्रिप्ट के आने का इंतजार किया, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था, ये सबसे मुश्किल दौर था, क्योंकि मैं हर दिन सुबह उठकर सोचती थी कि आगे क्या होगा, खासकर जब मेरे सभी दोस्त काम कर रहे हों. यह मेरे लिए बहुत तनावपूर्ण समय था. पर फिर मैने सोचा कि खाली समय का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर रहेगा, इसलिए मैंने खुद की एक्टिंग स्किल्स निखारने के लिए क्लासेस ली. आज आप मुझे एक बेहतर एक्टर के तौर पर देखते हैं, मैं उसका 10 परसेंट भी नहीं होती, अगर मैंने उस खाली समय का सही से इस्तेमाल नहीं किया होता.'
(Source: Bombay Times)