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गुलशन कुमार मर्डर: बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी अब्दुल रऊफ की याचिका की खारिज, उम्रकैद की सजा रखी बरकरार

गुलशन कुमार मर्डर केस में गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दाऊद इब्राहिम के सहयोगी अब्दुल रऊफ मर्चेंट को झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी. जस्टिस जाधव और बोरकर की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए रऊफ की सजा को बरकरार रखा है. साथ ही फिल्म प्रोड्यूसर रमेश तौरानी की बरी के फैसले को बरकरार रखते हुए उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा है कि अब्दुल रऊफ किसी तरह की उदारता का हकदार नहीं है क्योंकि वह पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था. 

1997 में टी-सीरीज़ के प्रमुख गुलशन कुमार की हत्या के लिए मर्चेंट को 2002 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. न्यायमूर्ति साधना एस जाधव और न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की पीठ ने कहा कि रऊफ मर्चेंट की सजा जारी रहेगी क्योंकि वह पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था  

10 नवंबर 2016 को फेक पासपोर्ट मामले में मर्चेंट को बांग्लादेश से पकड़ कर मुंबई लाया गया था. गुलशन कुमार की हत्या केस में अब्दुल को 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी और वह औरंगाबाद जेल में सजा काट रहा था. 2009 में वह परिवार से मिलने के बहाने पैरोल पर बाहर आया था लेकिन पैरोल समाप्त होने से पहले ही बांग्लादेश भाग गया था.

12 अगस्त 1997 को मुंबई के साउथ अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर गुलशन की हत्या कर दी गई थी. उस समय वह मंदिर में बिना बॉडीगार्ड के पूजा करने जा रहे थे. 

 जांच में पता चला कि अबु सलेम ने सिंगर से 10 करोड़ रुपये देने के लिए कहा था. गुलशन ने अबू सलेम की बात नहीं मानी और कहा कि इतने रुपए देकर वो वैष्णो देवी में भंडारा कराएंगे. सलेम को कुमार की यह बात अच्छी नहीं लगी और उसने कुमार की सुपारी देकर उनका मर्डर करवा दिया. 

 

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