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मणिकर्णिका के बाद इस बायोपिक में नजर आएंगी कंगना रनौत

कंगना रनौत का नाम बॉलीवुड की उन बिंदास अभिनेत्रियों की लिस्ट में शामिल है, जो ना बोलने में घबराती है और ना ही कोई किरदार निभाने से घबराती हैं. इन दिनों अभिनेत्री 'रानी लक्ष्मी बाई' के जीवन पर आधारित फिल्म 'मणिकर्णिका' की शूटिंग में व्यस्त है. फिल्म की शूटिंग जयपुर में चल रही है. जिसकी कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुई थी.

'मणिकर्णिका' के बाद बहुत जल्द कंगना रनौत, राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी अरूणिमा सिन्हा की बायोपिक में नजर आ सकती है. सोर्सेज की माने तो कंगना रनौत के साथ-साथ कृति सेनन का नाम भी सामने आ रहा है लेकिन फिल्म में लीड एक्ट्रेस के लिए आखिरी फैसला अरुणिमा का होगा.

सूत्रों की मानें तो दिसंबर में मणिकर्णिका की शूटिंग खत्म होने के बाद अभिनेत्री अपनी अगली फिल्म की तैयारी में जुट जाएगी.

कौन है अरुणिमा सिन्हा
आंबेडकर नगर के शाहजाद-पुर इलाके में पंडाटोला नाम का एक मोहल्ला है. अरुणिमा सिन्हा वहीं एक छोटे से मकान में रहती थी. उनके जीवन का एक ही लक्ष्य था, भारत को वॉलीबॉल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना. छठी कक्षा से ही वे इसी जूनून के साथ पढ़ाई कर रही थीं.

समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री लेने के साथ अरुणिमा राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाने लगीं. इसी बीच उनके साथ एक बड़ा हादसा हो गया जिसने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी. अप्रैल, 2011 को अरुणिमा पद्मावत एक्सप्रेस से लखनऊ से नई दिल्ली जा रही थीं कि बरेली के पास लूटपाट में नाकाम होने कुछ लुटेरों ने उन्हें चलती गाड़ी से नीचे फेंक दिया और इस हादसे में अरुणिमा का बायां पैर ट्रेन के पहियों के नीचे आ गया. पैर कटने के साथ उनका पूरा शरीर लहुलुहान हो गया. अचानक मिले इस शारीरिक और मानसिक आघात ने अरुणिमा ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया. अपने जीवन पर आए इस भीषण संकट सेभी अरुणिमा ने हार नहीं मानी. जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए वे नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में चार महीने तक भर्ती रहीं.

अगस्त 2011 के अंतिम हफ्ते में जब अरुणिमा को एम्स से छुट्टी मिली तो वे अपने साथ हुए हादसे को भुलाकर बेहद कठिन और असंभव-से प्रतीत होने वाले लक्ष्य को साथ लेकर अस्पताल से बाहर निकलीं. यह लक्ष्य था विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने का. इससे पहले कोई भी विकलांग ऐसा नहीं कर पाया था. कटा हुआ बायां पैर, दाएं पैर की हड्डियों में पड़ी लोहे की छड़ और शरीर पर जख्मों के निशान के साथ एम्स से बाहर आते ही अरुणिमा सीधे अपने घर न आकर एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्री पॉल से मिलने जमशेदपुर जा पहुंचीं.

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